क्या भारत की आर्थिक प्रगति मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती पर निर्भर करती है?

Click to start listening
क्या भारत की आर्थिक प्रगति मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती पर निर्भर करती है?

सारांश

नीति आयोग के सीईओ ने बताया कि भारत की आर्थिक प्रगति का आधार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर है। उनका कहना है कि केवल क्रमिक परिवर्तन ही पर्याप्त नहीं होंगे। जानिए कैसे यह रोडमैप 2035 तक भारत को एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बनाने में मदद करेगा।

Key Takeaways

  • भारत की आर्थिक प्रगति का आधार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर है।
  • फ्रंटियर टेक्नोलॉजी का उपयोग आवश्यक है।
  • 2035 तक 25 प्रतिशत जीडीपी योगदान का लक्ष्य।
  • 10 करोड़ रोजगार सृजन की परिकल्पना।
  • अन्यथा 270 बिलियन डॉलर हानि होने की संभावना।

मुंबई, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने बताया कि भारत की आर्थिक प्रगति का आधार देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती है, लेकिन केवल क्रमिक परिवर्तन पर्याप्त नहीं होंगे।

नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब ने 'रिइमेजनिंग मैन्युफैक्चरिंग: इंडियाज रोडमैप टू ग्लोबल लीडरशिप इन एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग' नामक रोडमैप का अनावरण किया।

इस अवसर पर अपने भाषण में सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि यह रोडमैप 2035 तक एक एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बनने के लिए एक निर्णायक और समयबद्ध दिशा को स्पष्ट करता है।

उन्होंने आगे कहा कि यह रोडमैप हमारे मैन्युफैक्चरिंग डीएनए में सटीकता, मजबूती और सस्टेनेबिलिटी के लिए फ्रंटियर टेक्नोलॉजी को समाहित करते हुए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी 'मेड इन इंडिया' पहचान का निर्माण करता है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यदि देश को तेजी से विकास करना है, तो यह सामान्य व्यवसाय के माध्यम से संभव नहीं है।

उन्होंने कहा, "फ्रंटियर टेक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का संगम है। इस संगम के मैन्युफैक्चरिंग में प्रवेश से ऑटोमेशन, दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।"

इस रोडमैप में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग का 25 प्रतिशत से अधिक योगदान, 10 करोड़ से अधिक रोजगार सृजन और 2035 तक भारत को एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग के शीर्ष तीन वैश्विक हब में स्थान दिलाने की कल्पना की गई है, जो कि देश के 2047 तक विकसित बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

नीति आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, रोडमैप में चेतावनी दी गई है कि यदि भारत उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में प्रमुख फ्रंटियर टेक्नोलॉजी को नहीं अपनाता है तो देश अवसरों से चूक जाएगा, जिससे 2035 तक 270 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2047 तक अतिरिक्त मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हानि होने की संभावना है।

नीति फ्रंटियर टेक हब, विकसित भारत के लिए एक एक्शन टैंक है। यह एक्शन टैंक सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के 100 से अधिक विशेषज्ञों के सहयोग से 20 से अधिक प्रमुख क्षेत्रों में परिवर्तनकारी विकास और सामाजिक विकास के लिए 10-वर्षीय रोडमैप तैयार कर रहा है। यह हब 2047 तक एक समृद्ध, मजबूत और तकनीकी रूप से उन्नत भारत की नींव रख रहा है।

Point of View

जिसमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करना और फ्रंटियर टेक्नोलॉजी को अपनाना आवश्यक है। यह कदम भारत की भविष्य की आर्थिक मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

भारत की आर्थिक प्रगति का आधार क्या है?
भारत की आर्थिक प्रगति का आधार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती पर निर्भर है।
क्या केवल क्रमिक परिवर्तन ही काफी हैं?
नहीं, केवल क्रमिक परिवर्तन पर्याप्त नहीं होंगे।
रोडमैप में क्या लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं?
रोडमैप में 2035 तक 25 प्रतिशत जीडीपी योगदान और 10 करोड़ रोजगार सृजन का लक्ष्य है।
फ्रंटियर टेक्नोलॉजी का माइने क्या है?
फ्रंटियर टेक्नोलॉजी का मतलब नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना है जो मैन्युफैक्चरिंग में सुधार लाती हैं।
क्या भारत को उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी अपनानी चाहिए?
हां, अन्यथा भारत को बड़े अवसरों से चूकने का खतरा है।