क्या सरकारी प्रोत्साहन और निजी कंपनियों की भागीदारी से 2025 में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को नई रफ्तार मिली?
सारांश
Key Takeaways
- सरकार की नीतियों और निजी कंपनियों की साझेदारी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को नई गति दी।
- भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 9 अरब डॉलर से बढ़कर 44 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
- 300 से अधिक स्पेस स्टार्टअप्स इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2025 में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ। इसकी मुख्य वजह सरकार की नीतियां और सरकारी-निजी कंपनियों की सहभागिता रही। यह जानकारी इंडियन स्पेस एसोसिएशन (आईएसपीए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एके. भट्ट ने साझा की।
भट्ट ने बताया कि 2025 भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ। इस दौरान नई नीतियों को क्रियान्वित किया गया, जिससे सैटेलाइट निर्माण, लॉन्च, पृथ्वी की तस्वीरें लेने, अंतरिक्ष डेटा और सैटेलाइट संचार जैसे क्षेत्रों में प्रगति हुई।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष अधिकांश विकास निजी कंपनियों के कारण हुआ। कई कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट्स मिले, नई फैक्ट्रियां स्थापित हुईं, सैटेलाइट लॉन्च हुए और लॉन्च व्हीकल तैयार होने के करीब पहुंचे। अंतरिक्ष से जुड़ी सेवाएं आम जनता, व्यापार और सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में भी बढ़ीं।
भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्तमान में लगभग 9 अरब डॉलर है और अगले 10 वर्षों में इसके 44 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
वर्ष 2025 में सरकारी और निजी कंपनियों की साझेदारी महत्वपूर्ण रूप से उभरी है। वर्तमान में वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2 प्रतिशत है, जो 2033 तक बढ़कर लगभग 8 प्रतिशत हो सकती है। इसमें निजी कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
भट्ट ने कहा कि नई अंतरिक्ष नीति 2023, एफडीआई नीति 2024 में ढील और भारतीय दूरसंचार अधिनियम 2023 के लागू होने से निजी निवेशकों को भरोसा मिला और लंबी अवधि के निवेश में आसानी हुई।
एफडीआई नियमों में ढील और आईएन-स्पेस की सिंगल-विंडो मंजूरी प्रणाली से भारतीय और विदेशी दोनों प्रकार की कंपनियों की भागीदारी बढ़ी।
उन्होंने बताया कि 2025 तक भारत में 300 से अधिक सक्रिय स्पेस स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं, जो लॉन्च व्हीकल, सैटेलाइट, पृथ्वी अवलोकन, संचार, इंजन, इलेक्ट्रॉनिक्स और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
इस वर्ष भारतीय निजी अंतरिक्ष कंपनियां केवल प्रयोग तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि वास्तविक उपयोग में भी सफलता प्राप्त की। स्काईरूट एयरोस्पेस और अग्निकुल कॉसमॉस ने अपने लॉन्च सिस्टम में अच्छी प्रगति की।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्काईरूट के विक्रम-I लॉन्च व्हीकल और इन्फिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया।
पिक्सेल कंपनी ने 2025 में भारत के पहले निजी सैटेलाइट समूह फायरफ्लाई सीरीज को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किया, जिसमें 6 सैटेलाइट शामिल हैं, जो पृथ्वी की उच्च रेजोल्यूशन तस्वीरें लेते हैं।
डिगंतरा ने अपना पहला व्यावसायिक स्पेस निगरानी सैटेलाइट लॉन्च किया। वहीं, बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस, थ्रस्टवर्क्स, ओमस्पेस, जोवियन और गैलेक्सीआई जैसी कंपनियों ने भी अपनी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया।
भट्ट ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 में सरकार ने अंतरिक्ष और नई तकनीक को और समर्थन दिया। इसमें राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन, स्टार्टअप्स के लिए फंड, क्रेडिट गारंटी, अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) का विस्तार और डीप-टेक फंड शामिल हैं।
वित्त वर्ष 2025 में भारतीय स्पेस स्टार्टअप्स ने लगभग 150 मिलियन डॉलर जुटाए, जिससे अब तक की कुल फंडिंग 617 मिलियन डॉलर से अधिक हो गई है।
इसके अलावा, आईएन-स्पेस का 1,000 करोड़ रुपए1 लाख करोड़ रुपए की रिसर्च और इनोवेशन योजना से अंतरिक्ष और नई तकनीक को दीर्घकालिक सहायता मिलेगी।
इस वर्ष शुरू हुआ 500 करोड़ रुपएएमएसएमई को नई अंतरिक्ष तकनीक विकसित करने में मदद करेगा।