क्या भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता 251.5 गीगावट तक पहुंच गई है, और सरकार स्वदेशी सोलर वैल्यू चैन पर ध्यान दे रही है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता अब 251.5 गीगावाट है।
- सरकार का ध्यान स्वदेशी सौर विनिर्माण पर है।
- क्लीन एनर्जी में आयात पर निर्भरता कम होगी।
- लगभग 20 लाख परिवारों को लाभ मिला है।
- पीएम-कुसुम का दूसरा चरण मार्च 2026 में शुरू होगा।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता अब 251.5 गीगावाट तक पहुँच गई है, जो कि 2030 के लिए निर्धारित देश के रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्य 500 गीगावाट का आधे से अधिक है। यह जानकारी केंद्रीय न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मंत्री प्रल्हाद जोशी ने गुरुवार को साझा की।
जोशी ने बताया कि भारत 2028 तक स्वदेशी सौर सेल विनिर्माण के लक्ष्य के साथ एक पूर्ण स्वदेशी सौर वैल्यू चैन के निर्माण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने 'स्टेट रिव्यू मीटिंग ऑन रिन्यूएबल एनर्जी' में कहा कि देश अब मॉड्यूल से आगे बढ़कर वेफर्स और इनगॉट्स के लिए घरेलू क्षमता विकसित कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संपूर्ण सौर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र देश में स्थापित हो।
उन्होंने कहा कि इस पहल से न केवल आयात पर निर्भरता कम होगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, जिससे भारत की क्लीन एनर्जी विनिर्माण में वैश्विक नेता के रूप में स्थिति मजबूत होगी।
जोशी ने राज्यों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि ये प्रयास भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बनाते हैं।
उन्होंने इन उपलब्धियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का प्रमाण बताया, जिसने भारत के स्वच्छ ऊर्जा विकास को नई दिशा दी है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि लगभग 20 लाख परिवार पहले ही प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का लाभ उठा चुके हैं।
उन्होंने राज्यों और डिस्कॉम से गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
पीएम-कुसुम योजना के बारे में, उन्होंने कहा कि अब यह योजना राज्यों में तेजी से प्रगति कर रही है। उन्होंने घोषणा की कि पीएम-कुसुम का दूसरा चरण मार्च 2026 में शुरू होगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने निर्धारित समय से पाँच वर्ष पहले ही गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50 प्रतिशत स्थापित बिजली उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लिया है।