क्या वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत का कॉर्पोरेट क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत बना हुआ है? : रिपोर्ट

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क्या वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत का कॉर्पोरेट क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत बना हुआ है? : रिपोर्ट

सारांश

क्या भारतीय कंपनियों का क्रेडिट प्रोफाइल वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच मजबूती से खड़ा है? इस रिपोर्ट में जानें कि कैसे घरेलू सुधार और अमेरिकी टैरिफ के प्रभावों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने खुद को संजोया है।

Key Takeaways

  • भारतीय कंपनियों का क्रेडिट प्रोफाइल वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूत है।
  • घरेलू सुधारों से अर्थव्यवस्था को बल मिला है।
  • अमेरिकी टैरिफ का निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
  • घरेलू मांग पर आधारित अर्थव्यवस्था सीमित प्रभाव झेल सकती है।
  • आईसीआरए ने जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाया है।

नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) । टैरिफ से जुड़ी बाधाओं और भू-राजनीतिक तनाव जैसी वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय कंपनियों के क्रेडिट प्रोफाइल ने मजबूती का प्रदर्शन किया है। यह जानकारी मंगलवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।

भारतीय अर्थव्यवस्था की डोमेस्टिक-फोक्स्ड प्रकृति से अमेरिका के उच्च टैरिफ का व्यापक मैक्रो प्रभाव कम रहने की संभावना है।

आईसीआरए रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "जीएसटी सुधार, आयकर में राहत, ब्याज दरों में कटौती और खाद्य मुद्रास्फीति में कमी से घरेलू खपत को बढ़ावा मिलने की संभावना है, जिससे शहरी मांग को विशेष रूप से मदद मिलेगी।"

भारत से अमेरिका को निर्यात पर 50 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगाने से यूएस मार्केट पर निर्भर रहने वाले सेक्टर्स के निर्यातकों जैसे खासकर कट एंड पॉलिश डायमंड (सीपीडी), कपड़ा और समुद्री भोजन जैसे क्षेत्रों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

आईसीआरए के कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य रेटिंग अधिकारी के. रविचन्द्रन ने कहा, "इन सकारात्मक घरेलू रुझानों को देखते हुए आईसीआरए ने वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी वृद्धि के अपने अनुमान को 50 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है, जिससे अमेरिका के टैरिफ के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।"

आईसीआरए ने वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में 214 कंपनियों की रेटिंग में सुधार किया और 75 की रेटिंग में गिरावट दर्ज की, जिससे 2.9 गुना का मजबूत क्रेडिट रेश्यो प्राप्त हुआ।

रेटिंग में यह सुधार कंपनी-विशिष्ट कारकों जैसे बिजनेस फंडामेंटल में सुधार, पैरेंट कंपनी की मजबूत क्रेडिट प्रोफाइल और पावर-रोड सेक्टर में प्रोजेक्ट रिस्क में कमी की वजह से देखा गया।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ से मर्चेंडाइज ट्रेड के लिए जोखिम बना हुआ है। चूंकि अमेरिका भारत के कुल निर्यात का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है और इसका 50-60 प्रतिशत हिस्सा अब खतरे में है, इसलिए अगर मार्च 2026 तक टैरिफ बढ़ा रहता है, तो वित्त वर्ष 26 में व्यापारिक निर्यात में लगभग 4-5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।

रविचंद्रन ने आगे कहा, "बाहरी चुनौतियों के बावजूद, घरेलू अर्थव्यवस्था पर इसका असर सीमित रहने की उम्मीद है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर निर्भर है और अमेरिका को निर्यात जीडीपी का केवल 2 प्रतिशत है।"

Point of View

हम यह देख सकते हैं कि भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति संभावनाओं से भरी हुई है। घरेलू मांग पर आधारित अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद है, जिससे वैश्विक चुनौतियों का प्रभाव सीमित रह सकता है। यह भारतीय कंपनियों के लिए एक सकारात्मक संकेत है और आने वाले समय में हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की उम्मीद है।
NationPress
30/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत का कॉर्पोरेट क्रेडिट प्रोफाइल क्यों मजबूत है?
भारतीय कंपनियों ने घरेलू सुधारों और मजबूत मांग के चलते अपने क्रेडिट प्रोफाइल में सुधार किया है।
क्या अमेरिकी टैरिफ का असर भारतीय निर्यात पर पड़ेगा?
हां, अमेरिकी टैरिफ का भारतीय निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, लेकिन घरेलू मांग के चलते इसका असर सीमित रहने की संभावना है।