क्या भारत में 1,700 से अधिक वैश्विक क्षमता केंद्र 19 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- 1,700 से ज्यादा जीसीसी भारत में कार्यरत हैं।
- 19 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।
- पिछले 5 वर्षों में राजस्व में वृद्धि हुई है।
- केंद्रीय बजट में जीसीसी के लिए योजनाएँ घोषित की गई हैं।
- कई राज्य सरकारें जीसीसी का समर्थन कर रही हैं।
नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। संसद को बुधवार को दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में वर्तमान में 1,700 से ज्यादा वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) कार्यरत हैं, जिनमें 19 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने लोकसभा में नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम) के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में बताया कि पिछले 5 वर्षों में इन जीसीसी द्वारा अर्जित कुल राजस्व वित्त वर्ष 2019 में 40.4 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 9.8 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ 64.6 अरब डॉलर हो गया है।
राज्य मंत्री ने कहा कि जीसीसी बुनियादी कार्यों के लिए सहायता केंद्रों से बढ़कर अनुसंधान एवं विकास तथा डिजाइन केंद्रों के रूप में विकसित हुए हैं। कुल मिलाकर, ये जीसीसी देश में 19 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं।
केंद्रीय बजट 2025-2026 में यह घोषणा की गई थी कि राज्यों को टियर II शहरों में जीसीसी को बढ़ावा देने के लिए निर्देशित करने हेतु एक नेशनल फ्रेमवर्क स्थापित किया जाएगा, जिससे भारत के जीसीसी इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगी।
यह फ्रेमवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रतिभा उपलब्धता में सुधार, उपनियमों में सुधार और उद्योग सहयोग तंत्र स्थापित करने के तरीकों पर सुझाव देगा।
राज्य मंत्री प्रसाद ने बताया कि इसके अलावा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसी कई राज्य सरकारों ने जीसीसी की स्थापना और विस्तार के समर्थन के लिए समर्पित नीतियाँ बनाई हैं।
पिछले सप्ताह की शुरुआत में, एसबीआई कैपिटल मार्केट्स (एसबीआईकैप्स) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत में जीसीसी की संख्या 2030 तक 1,700 से बढ़कर 2,200 से अधिक होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि परिसंपत्ति वर्गों की विस्तृत श्रृंखला और निवेश योग्य परिसंपत्तियों की निरंतर उपलब्धता के कारण आने वाले वर्षों में आरईआईटी एयूएम में 25-30 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
ऑफिस स्पेस के लिए लीजिंग ने किराए में वृद्धि और रिक्तियों में कमी के साथ वर्ष 2024 में पिछले रिकॉर्ड को 20 प्रतिशत तक तोड़ दिया।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की निवेश बैंकिंग शाखा की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 में भी गति जारी रहेगी, विशेष रूप से बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर और पुणे में गतिविधियां मजबूत रहीं।