क्या भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के चलते रुपया 88 के नीचे मजबूत हुआ?

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क्या भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के चलते रुपया 88 के नीचे मजबूत हुआ?

सारांश

भारतीय रुपया, अमेरिका के साथ नई व्यापार वार्ताओं के बीच, 87.82 पर खुला है। यह 88 के नीचे खुलने वाला पहला मौका है। क्या यह संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है? जानें इस महत्वपूर्ण विकास के बारे में।

Key Takeaways

  • भारतीय रुपया 87.82 पर खुला है।
  • अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता से सकारात्मक संकेत मिले हैं।
  • रुपया 88 के नीचे खुलने का यह पहला मौका है।
  • विश्लेषकों ने 87.90 के नीचे गिरावट का खतरा बताया है।
  • डॉलर इंडेक्स में वृद्धि देखी जा रही है।

मुंबई, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और अमेरिका के बीच नवीनतम व्यापार वार्ताओं के कारण बुधवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे की बढ़त के साथ 87.82 के स्तर पर खुला।

पिछले दिन दोपहर के कारोबार में 7 पैसे की वृद्धि के बाद रुपया 88.09 पर बंद हुआ था। आज की शुरुआत दो हफ्तों में रुपए का 88 के नीचे खुलना दर्शाती है।

विश्लेषकों का मानना है कि रुपया 88.20 के स्तर पर प्रतिरोध का सामना कर सकता है।

उन्होंने बताया कि द्विपक्षीय व्यापार वार्ता से समर्थन मिलने के बावजूद, 87.90 के नीचे एक निर्णायक गिरावट 87.50 या 87.20 की ओर ले जा सकती है।

इस बीच, डॉलर इंडेक्स 0.11 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 96.73 पर व्यापार कर रहा था, जो कि छह मुद्राओं के समूह के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाता है।

वायदा कारोबार में ब्रेंट क्रूड 0.20 प्रतिशत की कमी के साथ 68.33 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।

अमेरिका में मंदी की खबरों के कारण डॉलर में नरमी आने से उभरते बाजारों की मुद्राओं को समर्थन मिला है।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुख्य अर्थशास्त्री मार्क जैंडी ने हाल ही में कहा है कि अमेरिका के राज्य-स्तरीय आंकड़े मंदी की कगार पर होने का संकेत देते हैं।

उन्होंने कहा कि खर्च, नौकरियों और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के आंकड़ों के आधार पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी के करीब है।

इसके अलावा, विश्लेषकों ने रुपया में तेजी का श्रेय द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के प्रति नए सिरे से आशावाद को दिया है, जिससे निवेशकों का विश्वास और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध बेहतर हो सकते हैं।

हालांकि, सकारात्मक रुख के बावजूद बाजार की भावना सतर्क रही। निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक पर ध्यान दे रहे हैं, जिसमें ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। फेड का रुख वैश्विक पूंजी प्रवाह और मुद्रा मूल्यों को प्रभावित कर सकता है।

विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि ब्याज दरों में अचानक बदलाव से अस्थिरता बढ़ सकती है। एक नरम रुख से डॉलर में गिरावट आ सकती है, जबकि आक्रामक रुख से डॉलर में सुधार हो सकता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। हालांकि, निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अस्थिरता बनी हुई है। हमें उम्मीद है कि भारत की अर्थव्यवस्था इस नए विकास से और मजबूत होगी।
NationPress
17/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत का रुपया क्यों मजबूत हुआ है?
भारत का रुपया अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं के चलते मजबूत हुआ है।
क्या रुपया 87.50 तक गिर सकता है?
विश्लेषकों का मानना है कि यदि रुपया 87.90 के नीचे गिरता है, तो यह 87.50 तक जा सकता है।
डॉलर इंडेक्स का क्या प्रभाव है?
डॉलर इंडेक्स में वृद्धि अमेरिका की मुद्रा की मजबूती दर्शाती है, जो भारतीय रुपया पर प्रभाव डालती है।