क्या भारतीय कंपनियों की आय में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि होगी?
सारांश
Key Takeaways
- आय वृद्धि: वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद।
- ग्रामीण मांग: ग्रामीण क्षेत्रों में मांग के मजबूत संकेत।
- प्रॉफिट मार्जिन: 50-100 आधार अंक की वृद्धि की संभावना।
- सकारात्मक आर्थिक संकेत: ऑपरेटिंग मार्जिन में सुधार।
- वैश्विक चुनौतियाँ: भू-राजनीतिक तनावों का ध्यान रखना होगा।
नई दिल्ली, 25 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय कंपनियों की आय में वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। दूसरी तिमाही में आय वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रही। इसका मुख्य कारण ग्रामीण मांग और शहरी खपत में वृद्धि है। यह जानकारी गुरुवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
रेटिंग्स एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस अवधि में प्रॉफिट मार्जिन में 50-100 आधार अंक की वृद्धि होने की उम्मीद है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में क्रेडिट मेट्रिक्स ब्याज कवरेज 5 गुना से बढ़कर 5.3-5.5 गुना हो जाएगा।
आईसीआरए लिमिटेड की वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं सह-समूह प्रमुख - कॉर्पोरेट रेटिंग्स, किंजल शाह ने कहा, "घरेलू स्तर पर ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है और जीएसटी सुधार, केंद्रीय बजट 2025 में घोषित आयकर राहत, फरवरी 2025 और नवंबर 2025 के बीच भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में 100 बीपीएस की कटौती (जिससे उधार लेने की लागत कम होगी) और खाद्य मुद्रास्फीति में कमी जैसी अनुकूल परिस्थितियों से शहरी खपत को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।"
शाह ने आगे कहा, "वर्तमान भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी शुल्क से विशेष रूप से निर्यात केंद्रित क्षेत्रों जैसे कृषि-रसायन, वस्त्र, ऑटो और ऑटो कलपुर्जे, समुद्री खाद्य, कटे और पॉलिश किए हुए हीरे और आईटी सेवाओं के डिमांड सेंटीमेंट पर असर हो रहा है।"
आईसीआरए द्वारा 2,966 कंपनियों के विश्लेषण से पता चला है कि दूसरी तिमाही में आय वृद्धि का नेतृत्व खुदरा, होटल, ऑटो, पूंजीगत सामान और सीमेंट सेक्टर ने किया।
कॉरपोरेट इंडिया ने वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में ऑपरेटिंग मार्जिन में 140 आधार अंक की वृद्धि दर्ज की, जिससे यह 16.1 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
मांग में सुधार और बेहतर कार्यान्वयन के कारण दूरसंचार, सीमेंट और तेल एवं गैस जैसे क्षेत्रों में मार्जिन में बढ़ोतरी हुई है।
आईसीआरए ने अनिश्चित वैश्विक पर्यावरण और टैरिफ-संबंधित अस्पष्टता के कारण निजी पूंजीगत व्यय में सीमित दायरे में रहने का पूर्वानुमान लगाया है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर्स, डेटा सेंटर और चुनिंदा ऑटोमोटिव सेगमेंट में वृद्धि जारी रहेगी।