क्या जम्मू और कश्मीर में हस्तशिल्प एवं हथकरघा निदेशालय ने पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर वर्कशॉप का आयोजन किया?

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क्या जम्मू और कश्मीर में हस्तशिल्प एवं हथकरघा निदेशालय ने पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर वर्कशॉप का आयोजन किया?

सारांश

जम्मू और कश्मीर में हाल ही में आयोजित एक वर्कशॉप ने कारीगरों को पैकेजिंग और ब्रांडिंग में नवाचार का अवसर दिया। यह कार्यक्रम स्थानीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास है।

Key Takeaways

  • कारीगरों को पैकेजिंग और ब्रांडिंग की नई तकनीकों से अवगत कराया गया।
  • स्थानीय उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीतियाँ साझा की गई।
  • सरकारी योजनाओं के तहत कारीगरों को वित्तीय सहायता प्राप्त होगी।

डोडा, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू और कश्मीर के हस्तशिल्प एवं हथकरघा निदेशालय ने बुधवार को एनआईएफटी श्रीनगर के सहयोग से पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया।

यह वर्कशॉप एमएसएमई प्रदर्शन को बढ़ाना और तेज करना (आरएएमपी) योजना के अंतर्गत आयोजित की गई थी। इसका मुख्य लक्ष्य स्थानीय कारीगरों और शिल्प-आधारित उद्यमियों की बाजार में बिक्री के लिए तत्परता को मजबूत करना था।

इस वर्कशॉप का उद्देश्य प्रतिभागियों को आधुनिक पैकेजिंग तकनीकों, ब्रांडिंग रणनीतियों, उत्पाद प्रस्तुति और बाजार में उनकी स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करना था, जिससे कारीगर अपने उत्पादों का मूल्यवर्धन कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकें। एनआईएफटी श्रीनगर के विशेषज्ञों ने तकनीकी सत्र आयोजित किए और वर्तमान डिजाइन तथा बाजार के रुझानों के अनुसार व्यावहारिक जानकारी साझा की।

इस वर्कशॉप में कारीगरों, बुनकरों और विभागीय अधिकारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिसके बाद एक संवादात्मक सत्र आयोजित किया गया जिसमें प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर दिया गया।

इस योजना को लेकर राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए जम्मू और कश्मीर के हस्तशिल्प एवं हथकरघा निदेशालय के असिस्टेंट डायरेक्टर प्रदीप शान ने कहा, "विभाग की कोशिश कारीगरों और बुनकरों को आत्मनिर्भर बनाना है, जिससे वे अपना जीवनयापन आसानी से कर सकें। इसके लिए कई योजनाएं हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "हमारा एक ट्रेनिंग प्रोग्राम है, जिसके तहत हम लोगों को प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इसमें दो स्तर होते हैं, जिसमें एलीमेंट्री और एडवांस शामिल हैं। एलीमेंट्री में हजार रुपए का भत्ता दिया जाता है, जबकि एडवांस में 1,500 रुपए का भत्ता दिया जाता है।"

इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षण के बाद हम कारीगरों और बुनकरों को पंजीकृत करते हैं। इससे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकता है। सरकार एक क्रेडिट स्कीम भी चलाती है, जिसके तहत हमारे पास पंजीकृत कारीगर और बुनकर दो लाख रुपए तक लोन ले सकते हैं। इसमें किसी प्रकार की गारंटी की आवश्यकता नहीं होती है और ब्याज पर 7 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है।

Point of View

बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करने में मदद करेगा।
NationPress
17/12/2025

Frequently Asked Questions

इस वर्कशॉप का उद्देश्य क्या था?
इस वर्कशॉप का उद्देश्य कारीगरों को पैकेजिंग और ब्रांडिंग की आधुनिक तकनीकों से अवगत कराना था।
क्या इस कार्यक्रम का कोई शुल्क था?
नहीं, यह वर्कशॉप मुफ्त थी और इसमें सभी स्थानीय कारीगरों को शामिल किया गया।
क्या कारीगरों को प्रशिक्षण मिलेगा?
हाँ, प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत कारीगरों को विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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