क्या स्नेहा उल्लाल का ऐश्वर्या राय की हमशक्ल होना उनके करियर के लिए मुसीबत बना?
सारांश
Key Takeaways
- स्नेहा उल्लाल की कहानी संघर्ष और पहचान की है।
- उनका ऐश्वर्या राय की हमशक्ल होना एक अवसर और चुनौती दोनों रहा।
- दक्षिण सिनेमा में उनकी सफलता ने उन्हें एक नया मोड़ दिया।
- स्नहेा ने गंभीर बीमारी का सामना किया लेकिन वापसी की।
- उनकी कहानी प्रेरणा देती है कि संघर्षों से कैसे उबरें।
मुंबई, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड में कई प्रतिभाएं आई और गईं, लेकिन कुछ ऐसे चेहरे होते हैं जो अपने नाम के कारण ही चर्चा का विषय बन जाते हैं। उनमें से एक हैं स्नेहा उल्लाल, जिनका नाम सुनते ही सबसे पहले ऐश्वर्या राय की हमशक्ल होने की चर्चा होती है। इस पहचान ने उनके लिए शुरुआत में एक नया अवसर खोला, लेकिन धीरे-धीरे यही टैग उनके करियर के लिए एक बड़ी बाधा बन गया।
स्नेहा की कहानी केवल एक अभिनेत्री बनने की नहीं, बल्कि उस संघर्ष की भी है, जिसमें उन्हें पहचान तो मिली, लेकिन अपनी शर्तों पर नहीं।
स्नेहा उल्लाल का जन्म 18 दिसंबर 1987 को ओमान में हुआ था। उनका बचपन वहीं बीता। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने ओमान में प्राप्त की और बाद में अपनी मां के साथ मुंबई आ गईं। मुंबई में उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। स्नेहा का परिवार फिल्म उद्योग से बिलकुल दूर था और खुद स्नेहा ने कभी एक अभिनेत्री बनने का सपना नहीं देखा था। वह एक साधारण जीवन जी रही थीं और इसी दौरान उनकी दोस्ती सलमान खान की बहन अर्पिता खान से हुई, जो उनकी ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट बनी।
अर्पिता खान के माध्यम से स्नेहा की मुलाकात सलमान खान से हुई। उस समय स्नेहा की उम्र केवल 17 वर्ष थी। सलमान खान को स्नेहा का चेहरा बहुत पसंद आया, क्योंकि उनकी छवि ऐश्वर्या राय से काफी मिलती जुलती थी। इसी कारण उन्हें फिल्म 'लकी: नो टाइम फॉर लव' में कास्ट किया गया। यह फिल्म 2005 में रिलीज हुई और इसके साथ ही स्नेहा रातों-रात चर्चा में आ गईं। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन स्नेहा की खूबसूरती और उनकी तुलना ऐश्वर्या राय से हर जगह होने लगी।
यहां से वह टैग शुरू हुआ, जिसने स्नेहा को पहचान दी, लेकिन उनके काम पर हमेशा एक बोझ बना रहा। एक इंटरव्यू में स्नेहा ने बताया कि यह तुलना एक प्रकार से पीआर रणनीति का हिस्सा थी। लोग उन्हें एक नई अभिनेत्री के रूप में देखने के बजाय दूसरी ऐश्वर्या के रूप में देख रहे थे। स्नेहा कई बार कह चुकी हैं कि वह ऐश्वर्या राय की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं, लेकिन चाहती थीं कि उनकी पहचान उनके काम से बने, न कि किसी और की छाया बनकर।
'लकी' के बाद स्नेहा ने बॉलीवुड में 'आर्यन', 'क्लिक', और 'जाने भी दो यारों' जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें वैसी सफलता नहीं मिली जैसी उन्होंने अपने करियर से अपेक्षित की थी। इसके बाद स्नेहा ने दक्षिण सिनेमा की ओर रुख किया और वहां उन्हें असली पहचान मिली। तेलुगु फिल्म 'उल्लासंगा उत्साहंगा' उनके करियर की सबसे बड़ी हिट साबित हुई और इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस अवार्ड भी मिला। इसके बाद 'सिंहा' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म ने उन्हें दक्षिण में मजबूत स्थान दिलाया।
स्नेहा का करियर धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा था, तभी उनकी ज़िंदगी में एक बड़ा मोड़ आया। वह ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारी से जूझने लगीं। उनकी स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि वह 30-40 मिनट से ज्यादा खड़ी भी नहीं रह पाती थीं। मजबूरन उन्हें फिल्मों से लंबा ब्रेक लेना पड़ा। इस दौरान वह पूरी तरह लाइमलाइट से दूर रहीं और अपनी सेहत पर ध्यान दिया।
लगभग छह साल बाद स्नेहा ने 2022 में फिल्म 'लव यू लोकतंत्र' से वापसी की। वह मानती हैं कि ऐश्वर्या राय की हमशक्ल होना उनके करियर की शुरुआत में वरदान था, लेकिन लंबे समय तक वही टैग उनके लिए बोझ बन गया। फिर भी उन्होंने खुद को साबित किया।