क्या आरबीआई रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा?: एचएसबीसी
सारांश
Key Takeaways
- आरबीआई 5 दिसंबर को रेपो रेट पर निर्णय करेगा।
- मुद्रास्फीति का स्तर लक्ष्य से कम रह सकता है।
- विकास दर में वृद्धि की उम्मीद है।
- कम आय वाले राज्यों की वृद्धि तेज हो रही है।
- अमेरिकी टैरिफ का भारत के विकास पर प्रभाव नहीं पड़ा है।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आने वाले समय में मुद्रास्फीति का स्तर अनुमानित लक्ष्य से कम रह सकता है। इस बीच, एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च ने सोमवार को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का निर्णय 5 दिसंबर को आएगा।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि विकास दर अभी तक मजबूत बनी हुई है, जिसे सरकारी खर्च और जीएसटी-काट के साथ रिटेल खर्च से समर्थन मिल रहा है। इसके अतिरिक्त, नवंबर का फ्लैश मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 56.6 के स्तर पर है, जिससे पता चलता है कि जीएसटी के कारण वृद्धि अपने शीर्ष पर पहुंच गई है, क्योंकि नए ऑर्डर का स्तर कम होता जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, "विकास दर अभी मजबूत है, लेकिन मार्च 2026 की तिमाही में इसमें गिरावट आ सकती है। हमें उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक अपनी आगामी दिसंबर नीति बैठक में पॉलिसी रेट को कम करेगा।"
रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सालाना आधार पर 8.2 प्रतिशत रही, जो कि जून तिमाही के जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत और हमारे 7.5 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है। वहीं, ग्रॉस वैल्यू एडेड वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत और नॉमिनल जीडीपी 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी।
जीडीपी में वृद्धि की गति तेज बनी रही, जिसके कई कारण रहे, जिनमें से एक महत्वपूर्ण कारक 22 सितंबर को लागू जीएसटी की दरों में कटौती है, जिसका ऐलान 15 अगस्त को किया गया था।
एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, "हमें लगता है कि उपभोक्ता मांग में वृद्धि के कारण उत्पादन में वृद्धि देखी गई है। हमारे हालिया अध्ययन से पता चलता है कि कम आय वाले राज्य अब वृद्धि की राह पर आ गए हैं, यहाँ तक कि वे उच्च आय वाले राज्यों से भी तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।"
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के निर्यात पर 50 प्रतिशत के अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ के बावजूद भारत की विकास दर तेजी से बढ़ती रही है।