क्या आने वाली तिमाहियों में महंगाई दर कम रहेगी और अर्थव्यवस्था को मिलेगा सपोर्ट?

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क्या आने वाली तिमाहियों में महंगाई दर कम रहेगी और अर्थव्यवस्था को मिलेगा सपोर्ट?

सारांश

महंगाई दर में कमी के संकेत और अर्थव्यवस्था को मिलने वाले सपोर्ट के बारे में जानें। अर्थशास्त्री एसपी शर्मा ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। क्या आने वाले समय में महंगाई दर और भी कम होगी?

Key Takeaways

  • महंगाई दर में कमी से वित्तीय बोझ में कमी आएगी।
  • आरबीआई ने रेपो रेट को घटाया है।
  • खाद्यान्न उत्पादन में मजबूती से अर्थव्यवस्था को सहायता मिलेगी।
  • महंगाई दर 0.25 प्रतिशत पर स्थिर है।
  • 2025-26 के लिए औसत महंगाई के अनुमान में गिरावट आई है।

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में कमी और भारत में खाद्यान्न उत्पादन की मजबूती के कारण आने वाले कई तिमाही में महंगाई दर में गिरावट देखने को मिलेगी। यह जानकारी अर्थशास्त्री एसपी शर्मा ने साझा की।

समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए अर्थशास्त्री शर्मा ने कहा कि महंगाई दर कम होकर 0.25 प्रतिशत के स्तर पर स्थिर है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जिससे विकास में सहायता मिलेगी।

आरबीआई ने दिसंबर की मौद्रिक नीति में चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का अनुमान 2 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 2.6 प्रतिशत था।

इस दौरान आरबीआई गवर्नर ने कहा, "हेडलाइन मुद्रास्फीति में महत्वपूर्ण गिरावट आई है और इसके पिछले अनुमानों से भी नरम रहने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों का स्थिर रहना है। इन अनुकूल परिस्थितियों के चलते 2025-26 और 2026-27 की पहली तिमाही के लिए औसत मुद्रास्फीति के अनुमानों को कम कर दिया गया है।"

अर्थशास्त्री ने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 3 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है। इससे वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में गिरावट बनी रहेगी, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है। इस कारण आने वाली कई तिमाही तक महंगाई कम रहेगी।

आरबीआई ने दिसंबर की मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 25 आधार अंक घटाकर 5.25 प्रतिशत कर दिया है।

इससे पहले पीएचडीसीसीआई के सीईओ और सेक्रेटरी जनरल रंजीत मेहता ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से कहा कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती से संकेत मिलता है कि मौद्रिक नीति देश की विकास प्राथमिकताओं के साथ जुड़ी है।

रंजीत मेहता ने कहा, "भारत वर्तमान में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई और ठीक इसी समय देश की मुद्रास्फीति दर भी नियंत्रित रही। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह स्थिति बेहद सकारात्मक है।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि महंगाई दर में कमी और अर्थव्यवस्था को मिलने वाला सपोर्ट हमारे देश के लिए सकारात्मक संकेत हैं। यह स्थिति न केवल वित्तीय स्थिरता में योगदान करेगी, बल्कि आम नागरिकों के जीवन स्तर को भी सुधारने में मदद करेगी।
NationPress
05/12/2025

Frequently Asked Questions

महंगाई दर में कमी का अर्थ क्या है?
महंगाई दर में कमी का अर्थ है कि कीमतों में वृद्धि की गति धीमी हो रही है, जिससे आम जनता पर वित्तीय बोझ कम होगा।
क्या यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहेगी?
यदि वैश्विक कमोडिटी की कीमतें स्थिर रहें और खाद्यान्न उत्पादन मजबूत बना रहे, तो महंगाई दर कम रहने की उम्मीद है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति का क्या प्रभाव पड़ेगा?
आरबीआई की मौद्रिक नीति के तहत रेपो रेट में कटौती से लोन की दरें कम होंगी, जो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी।
किस क्षेत्र पर महंगाई दर का अधिक प्रभाव पड़ता है?
महंगाई दर का सबसे अधिक प्रभाव खाद्य वस्तुओं और आवश्यक सेवाओं पर पड़ता है।
भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर क्या है?
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई है।
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