क्या एमएसएमई ने अप्रैल से सितंबर के बीच 9.52 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निर्यात किया?
सारांश
Key Takeaways
- भारत के एमएसएमई ने 9.52 लाख करोड़ रुपए का निर्यात किया।
- सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाई हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक सामान, फार्मा, और इंजीनियरिंग उत्पादों में एमएसएमई का योगदान महत्वपूर्ण है।
- कम जीएसटी दरों से छोटे उद्योगों को फायदा हुआ है।
- स्थानीय आपूर्ति में सुधार से स्टार्टअप्स को अवसर मिले हैं।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 में अप्रैल से सितंबर तक 9.52 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निर्यात किया है। यह जानकारी गुरुवार को संसद में प्रस्तुत की गई। इससे स्पष्ट होता है कि देश के छोटे और मध्यम उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
एमएसएमई राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में बताया कि यह निर्यात आंकड़ा डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (डीजीसीआई एंड एस) के पोर्टल से लिया गया है। इसमें एमएसएमई से जुड़े उत्पादों का डेटा शामिल है।
उन्होंने कहा कि इस अवधि में भारत का निर्यात विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक सामान, दवाइयों (फार्मा) और इंजीनियरिंग उत्पादों में काफी अच्छा रहा है। इन क्षेत्रों में एमएसएमई का योगदान बहुत अधिक है और यही कारण है कि निर्यात में तेजी देखने को मिली।
मंत्री ने कहा कि डीजीसीआई-एंड-एस पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 (सितंबर तक) के दौरान एमएसएमई उत्पादों से संबंधित निर्यात का कुल मूल्य 9,52,023.35 करोड़ रुपए है।
सरकार ने एमएसएमई के निर्यात को और मजबूत बनाने के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (ईएमपी) शुरू किया है। इसका उद्देश्य निर्यात से जुड़ी व्यवस्थाओं को बेहतर बनाना है। इस मिशन के तहत एमएसएमई को विभिन्न प्रकार की सहायता दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि सरकार निर्यात प्रोत्साहन योजना के माध्यम से एमएसएमई को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है, जिससे उन्हें व्यापार के लिए आसानी से धन मिल सके। इसके अलावा, निर्यात दिशा के तहत एमएसएमई को उच्च गुणवत्ता बनाए रखने, सरकारी नियमों को समझने, नए बाजार खोजने और सामान भेजने में मदद की जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि कम जीएसटी दरों के कारण कच्चे माल और सेवाओं की लागत कम हुई है। इससे छोटे उद्योगों और स्टार्टअप्स को अपना कार्य बढ़ाने, नई चीजों में निवेश करने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिली है।
इन सरकारी पहलों से ऑटोमोबाइल, कपड़ा, फूड प्रोसेसिंग, लॉजिस्टिक्स और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में स्थानीय आपूर्ति मजबूत हुई है। इससे छोटे कारोबारियों और स्टार्टअप्स को आगे बढ़ने तथा विश्व के बाजार में भारत का नाम रोशन करने का अवसर मिल रहा है।