क्या 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला' है हेट स्पीच बिल? नेता प्रतिपक्ष आर अशोक का बयान

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क्या 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला' है हेट स्पीच बिल? नेता प्रतिपक्ष आर अशोक का बयान

सारांश

कर्नाटक में हेट स्पीच बिल पर नेता प्रतिपक्ष आर अशोक का बयान, जिसमें उन्होंने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। क्या यह कानून सच में हिटलरशाही की ओर ले जा रहा है? पढ़ें पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधे प्रभाव
  • पुलिस के लिए अत्यधिक शक्तियां
  • मीडिया की स्वतंत्रता पर असर
  • सामाजिक न्याय की चिंता
  • राजनीतिक प्रतिशोध का संदेह

बेलगावी, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए विवादास्पद कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम्स (निवारण और नियंत्रण) विधेयक, 2025 पर कड़ा विरोध जताते हुए नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने गुरुवार को कहा कि इस प्रकार का कानून लाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक स्पष्ट हमला है।

विधानसभा में बोलते हुए अशोक ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार ने खुद को किसी भी समय किसी भी प्रकार की सामग्री को रोकने की व्यापक शक्तियां दे दी हैं। उन्होंने कहा, "कानून के सभी सिद्धांतों को ताक पर रख दिया गया है। यह अपराध गैर-जमानती है और लोगों को सीधे जेल में डाल दिया जाएगा।"

उन्होंने तंज करते हुए कहा, "जिन लोगों ने देश में आपातकाल लागू किया, उनसे और क्या उम्मीद की जा सकती है?"

अशोक ने कहा कि स्वतंत्रता के 75 सालों के बाद भी किसी कानूनी विशेषज्ञ ने ऐसा कानून लाने के बारे में नहीं सोचा था। उन्होंने कहा, "मुझे आश्चर्य है कि गृह मंत्री जी. परमेश्वर को यह ‘अविवेकपूर्ण’ माफ कीजिए, ‘सुविचारित’ विचार कैसे आया।"

अशोक ने आरोप लगाया कि यह विधेयक पुलिस अधिकारियों को ‘हिटलर’ बना देगा। उन्होंने कहा, "वे सौ प्रतिशत हिटलर बन जाएंगे। इसमें ‘मानसिक प्रताड़ना’ और ‘नफरत की भावना’ जैसे अस्पष्ट शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जिनकी कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है।"

उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) का खुला उल्लंघन है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इसमें चित्रों और कार्टून का भी जिक्र है। अब कोई कार्टून नहीं बना सकेगा। 75 वर्षों से कार्टून प्रकाशित करने वाले अखबार भी ऐसा नहीं कर पाएंगे।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि समाचार रिपोर्टों को भी इसके दायरे में लाया गया है। अगर मीडिया भ्रष्टाचार पर खबर प्रकाशित करेगा तो उसे पहले ही जमानत लेनी होगी, नहीं तो गिरफ्तारी होगी। अगर एक व्यक्ति बयान देता है तो पूरे संगठन के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। क्या बेटे के अपराध की सजा माता-पिता को दी जा सकती है?

अशोक ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में पहले से ही नफरत फैलाने और हिंसा भड़काने से जुड़े प्रावधान मौजूद हैं। बीएनएस के तहत धार्मिक स्थलों या सभाओं में हिंसा भड़काने पर पांच साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक राजनीतिक प्रतिशोध का हथियार है। "केंद्र में कांग्रेस अपने अधिकार छीने जाने का विरोध कर रही है और यहां वही आपातकाल जैसे कानून ला रही है। अब पत्रकारों को जेल जाने के लिए तैयार रहना चाहिए, और हम उनके साथ खड़े रहेंगे।"

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह वोट बैंक की राजनीति है और निर्दोष व्यक्ति को भी बाद में बेगुनाह साबित होने तक सजा भुगतनी पड़ सकती है। साथ ही उन्होंने विधेयक में खराब अनुवाद और कन्नड़ में अस्तित्वहीन शब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगाया।

अशोक ने कहा कि बीएनएस की धाराएं 196, 299 और 353 पहले से ही हेट स्पीच से निपटने के लिए पर्याप्त हैं। यह कानून मीडिया और विपक्ष को निशाना बनाने के लिए लाया गया है और भविष्य में यह किसी भी सत्तारूढ़ सरकार के हाथों में हथियार बन जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने पुलिस विभाग में 50 प्रतिशत से भी कम रिक्त पद भरे हैं और अब इस कानून के जरिए लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।

वहीं, विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि यह कानून समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगा। आलोचनाओं के बाद सरकार ने विधेयक में संशोधन करते हुए दोबारा अपराध करने पर सजा को 10 साल से घटाकर सात साल कर दिया है।

Point of View

क्या यह कानून वास्तव में लोगों में डर पैदा करेगा? इसे समझने के लिए हमें व्यापक दृष्टिकोण से विचार करना होगा।
NationPress
18/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या हेट स्पीच बिल संविधान का उल्लंघन करता है?
जी हां, कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) का उल्लंघन करता है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
क्या इस विधेयक से मीडिया की स्वतंत्रता प्रभावित होगी?
हां, इस विधेयक के तहत मीडिया को भी जमानत लेने के लिए बाध्य किया जा सकता है, जिससे उनकी स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।
क्या यह विधेयक राजनीतिक प्रतिशोध का एक हथियार बन सकता है?
कई विपक्षी नेताओं का मानना है कि यह विधेयक राजनीतिक प्रतिशोध का एक उपकरण बन सकता है, जिसका इस्तेमाल सरकार कर सकती है।
क्या इस विधेयक से लोगों के खिलाफ गलत तरीके से मामले दर्ज हो सकते हैं?
हां, यह विधेयक अस्पष्ट शब्दों का उपयोग करता है, जिससे लोगों के खिलाफ गलत तरीके से मामले दर्ज होने की संभावना है।
क्या सरकार ने इस विधेयक में संशोधन किया है?
जी हां, आलोचनाओं के बाद सरकार ने विधेयक में दोबारा अपराध करने पर सजा को 10 साल से घटाकर 7 साल कर दिया है।
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