क्या जम्मू-कश्मीर आज भी केंद्र सरकार के अधीन है: राकेश सिन्हा?
सारांश
Key Takeaways
- राकेश सिन्हा का बयान जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता पर सवाल उठाता है।
- केंद्र सरकार द्वारा बजट का वितरण महत्वपूर्ण है।
- आत्मनिर्भरता और विकास के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
रांची, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता राकेश सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमें केंद्र सरकार से कोई शिकायत नहीं है। अगर केंद्र चाहती तो हमें घुटने पर लाकर खड़ा कर सकती थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके विपरीत, उन्होंने हमें अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक बजट दिया।
राकेश सिन्हा ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह अच्छी बात है कि उन्हें अन्य राज्यों की तुलना में केंद्र सरकार से अधिक बजट मिला है। उनके हितों को प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन मुझे लगता है कि उमर अब्दुल्ला को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वर्तमान समय में जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता क्या है? उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि जम्मू अभी भी केंद्र सरकार के अधीन है। जम्मू-कश्मीर से सभी नीतिगत निर्णय केंद्र सरकार द्वारा ही लिए जाते हैं।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जिन 26 बहनों का सिंदूर उजाड़ा गया था, उस पर केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए? इस मामले में भी उमर अब्दुल्ला को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। इसके अलावा, उन आतंकियों का क्या हुआ, जो इस वीभत्स घटना में शामिल थे? मुझे लगता है कि इन सभी बिंदुओं पर केंद्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए और अंत में हर व्यक्ति को अपने राज्य के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर मुख्यमंत्री को अपने राज्य के विकास के लिए पूरी तरह से संजीदा होना चाहिए और उनके रुख से यह स्पष्ट हो रहा है कि वे संजीदा हैं। अब यदि प्रधानमंत्री भी संजीदा होंगे, तो स्थिति और बेहतर हो सकती है।
राकेश सिन्हा ने एक घटना का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मानवता भी कोई चीज होती है। आप बांग्लादेशियों की बात कर रहे हैं। मेरा सीधा सवाल है कि पिछले 11 वर्षों से आप लोग सत्ता में हैं, तो आपने भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को चिन्हित करने के लिए क्या किया? उत्तर स्पष्ट है कि आप लोग कुछ नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने निशिकांत दुबे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वे मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं और जानकारी का अभाव है। इसके अलावा, हमें यह ध्यान रखना होगा कि जो व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ होता है, वह कुछ भी बोल सकता है। ऐसी स्थिति में मुझे लगता है कि हमें इन लोगों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे को यह समझना चाहिए कि राष्ट्रपिता और राष्ट्रपति में फर्क होता है, लेकिन अफसोस उन्हें यह पता नहीं है।
साथ ही, उन्होंने छात्रवृत्ति के संबंध में भी अपनी बात रखी। हम लोग छात्रवृत्ति का पैसा मांग रहे हैं। ऐसी स्थिति में मेरा सीधा सवाल है कि क्या छात्रवृत्ति का पैसा मांगते समय उपयोगिता के प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है? इसमें किसी भी प्रकार से उपयोगिता के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। इन लोगों को किसी भी चीज की जानकारी नहीं है। ये लोग सिर्फ राज्य में विकास से संबंधित काम को अवरुद्ध करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि ये लोग केवल सत्ता में आने की रणनीति बनाने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इनकी रणनीति किसी भी कीमत पर सफल नहीं हो सकती, क्योंकि आज की तारीख में जनता के बीच इनकी विश्वसनीयता पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है।