क्या नई वंदे भारत स्लीपर में अपर बर्थ तक पहुंचने में कोई परेशानी नहीं होगी?

सारांश
Key Takeaways
- आरामदायक अपर बर्थ डिजाइन
- सभी आयु वर्ग के लिए सुविधाजनक यात्रा
- अगले साल से नई सुविधा का लाभ
- महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के तहत 1,920 स्लीपर कोच
- 35 वर्षों तक रखरखाव की योजना
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नई वंदे भारत स्लीपर में अपर बर्थ अब काफी आरामदायक होगी और सभी आयु वर्ग के लोग इसे आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। यह जानकारी काइनेट में वंदे भारत प्रोजेक्ट के निदेशक निशुंक गर्ग ने बुधवार को साझा की।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए निशुंक गर्ग ने बताया कि अक्सर यात्रियों के मन में यह धारणा होती है कि अपर बर्थ आरामदायक नहीं होता और इस तक पहुंचने में कठिनाई होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए, हमने नई वंदे भारत स्लीपर का डिजाइन किया है।
उन्होंने आगे बताया कि इसमें अपर बर्थ तक पहुंचने वाली सीढ़ी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए आरामदायक हो।
गर्ग ने बताया कि यह फीचर पहली ट्रेन से ही सभी यात्रियों के लिए उपलब्ध होगा और हमारा लक्ष्य अगले साल पहली ट्रेन का डिलीवर करना है, जिस पर हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
काइनेट में वंदे भारत प्रोजेक्ट के चीफ डिजाइनर एवगेनी मास्लोव ने कहा कि हमारे डिज़ाइन का लक्ष्य एक नेक्स्ट लेवल की आरामदायक यात्रा का अनुभव प्रदान करना है। हम मानते हैं कि वंदे भारत देश के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है और हमने यहाँ पर इसे लेकर अपना विज़न पेश किया है।
काइनेट रेलवे सॉल्यूशंस, रूस की सबसे बड़ी रोलिंग स्टॉक निर्माता कंपनी सीजेएससी ट्रांसमाशहोल्डिंग और भारत की सरकारी कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के बीच एक ज्वाइंट वेंचर है। यह साझेदारी वंदे भारत प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए बनाई गई थी, जिसमें 1,920 स्लीपर कोच (120 ट्रेनसेट) का डिजाइन और निर्माण और 35 वर्षों की अवधि तक उनका रखरखाव शामिल है।