क्या न्यूजीलैंड के साथ एफटीए से भारत का ग्लोबल फुटप्रिंट मजबूत होगा?
सारांश
Key Takeaways
- भारत-न्यूजीलैंड एफटीए से निर्यात को जीरो ड्यूटी पर बढ़ावा मिलेगा।
- इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल, फार्मा और कृषि सेक्टर को लाभ होगा।
- किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए संवेदनशील क्षेत्रों को बाहर रखा गया है।
- यह समझौता भारतीय उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
- फियो ने इसे गेम-चेंजर बताया है।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और महासचिव रणजीत मेहता ने बताया कि भारत-न्यूजीलैंड फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) एक महत्वपूर्ण पहल है और इससे देश का ग्लोबल फुटप्रिंट और भी मजबूत होगा।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मेहता ने कहा, "भारत-न्यूजीलैंड एफटीए से देश का ग्लोबल फुटप्रिंट मजबूत होगा। इसके तहत भारत का अधिकांश निर्यात जीरो ड्यूटी पर होगा। इससे इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल, फार्मा और कृषि क्षेत्रों को लाभ होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "भारत में 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या अब भी कृषि और डेयरी पर निर्भर है और कई किसानों के पास भूमि एक हेक्टेयर से भी कम है। इसलिए सरकार हर एफटीए में यह सुनिश्चित करती है कि किसानों के हित प्रभावित न हों। इस एफटीए में भी इस पर ध्यान दिया गया है।"
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) ने भारत और न्यूजीलैंड के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का स्वागत किया है और इसे भारतीय निर्यातकों के लिए गेम-चेंजर बताया है।
फियो के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि इतनी जल्दी यह समझौता होना यह दर्शाता है कि भारत और न्यूजीलैंड दोनों की राजनीतिक इच्छाशक्ति और आर्थिक दृष्टिकोण मजबूत है। उन्होंने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के भविष्य के विकास को ध्यान में रखकर किया गया है।
रेल्हन ने कहा कि इस समझौते के तहत भारतीय उत्पादों को न्यूजीलैंड में बिना टैक्स के बेचने की अनुमति मिलेगी। इससे भारतीय सामान सस्ते और अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे, जिससे रोजगार सृजन करने वाले उद्योगों को बड़ा लाभ होगा।
इस एफटीए की घोषणा करते हुए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि किसानों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एफटीए न्यूजीलैंड के बाजारों में भारतीय कृषि उत्पादों के लिए नए अवसर खोलेगा, जिसमें फल, सब्जियां, कॉफी, मसाले, अनाज और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने विस्तार से जानकारी दी कि भारत ने घरेलू संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए कई क्षेत्रों को इस एफटीए से बाहर रखा है, जिनमें डेयरी उत्पाद, चीनी, कॉफी, मसाले, खाद्य तेल, बहुमूल्य धातुएं (सोना और चांदी), बहुमूल्य धातु कबाड़ा, कॉपर कैथोड और रबर आधारित उत्पाद शामिल हैं। इससे किसानों, लघु एवं मध्यम उद्यमों और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।