क्या आरबीआई की तीन-दिवसीय एमपीसी बैठक में ब्याज दर कटौती पर फैसला होगा?

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क्या आरबीआई की तीन-दिवसीय एमपीसी बैठक में ब्याज दर कटौती पर फैसला होगा?

सारांश

आरबीआई की मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक आज से शुरू हुई है। इस महत्वपूर्ण बैठक में रेपो रेट समेत कई वित्तीय मुद्दों पर चर्चा होगी। क्या ब्याज दरों में कटौती होगी? जानिए इस बैठक की संभावनाओं और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों के बारे में।

Key Takeaways

  • आरबीआई की बैठक में रेपो रेट पर निर्णय लिया जाएगा।
  • विश्लेषकों का मानना है कि महंगाई दर के कारण ब्याज दरों में कटौती संभव है।
  • इस वर्ष आरबीआई ने पहले ही रेपो रेट में 1 प्रतिशत की कटौती की है।
  • जीएसटी सुधारों का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • ब्याज दरों में स्थिरता बाजार को और सकारात्मकता दे सकती है।

मुंबई, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक आज से आरंभ हो गई है, जिसमें रेपो रेट के साथ-साथ अन्य वित्तीय मुद्दों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।

विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ और कम महंगाई दर के मद्देनजर आरबीआई रेपो रेट को अपरिवर्तित रख सकता है। वर्तमान में रेपो रेट 5.50 प्रतिशत है। इस वर्ष की शुरुआत से अब तक आरबीआई ने इसमें एक प्रतिशत की कटौती की है, जिसमें फरवरी में 0.25 प्रतिशत, अप्रैल में 0.25 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत की कटौती शामिल है।

विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो दर को स्थिर रखने की संभावना है, क्योंकि जीएसटी सुधारों का मांग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में अपेक्षा से अधिक जीडीपी वृद्धि हुई है और मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि की संभावना है, जिसके बाद यह दर और बढ़ सकती है।

एसबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रगति के साथ जीएसटी युक्तिकरण के चलते मुद्रास्फीति 2004 के बाद से अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुँचने की दिशा में है, ऐसे में ब्याज दरों में कटौती आरबीआई के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प हो सकता है।

आरबीआई ने जून में 0.50 प्रतिशत की कटौती के बाद, अगस्त की बैठक में नीतिगत दर को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखा।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष के अनुसार, "हमारा मानना है कि सीपीआई मुद्रास्फीति अभी अपने निचले स्तर पर नहीं पहुँची है, और जीएसटी युक्तिकरण के कारण इसमें 65-75 आधार अंकों की और गिरावट आ सकती है।"

घोष ने कहा, "वित्त वर्ष 27 में भी मुद्रास्फीति नरम बनी रहेगी और जीएसटी में कटौती के बिना, यह सितंबर और अक्टूबर में 2 प्रतिशत से नीचे चल रही है। वित्त वर्ष 27 के सीपीआई के आंकड़े अब 4 प्रतिशत या उससे कम पर हैं और जीएसटी युक्तिकरण के साथ, अक्टूबर का सीपीआई 1.1 प्रतिशत के करीब हो सकता है, जो 2004 के बाद सबसे निचला स्तर है।

Point of View

बल्कि यह हमारे आर्थिक स्वास्थ्य और विकास को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण निर्णय है। सभी की नजरें इस बैठक पर टिकी हैं, क्योंकि इससे न केवल वित्तीय बाजारों में हलचल होगी, बल्कि आम जनता की आर्थिक स्थिति पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा।
NationPress
29/09/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई की एमपीसी बैठक का महत्व क्या है?
आरबीआई की एमपीसी बैठक मौद्रिक नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे ब्याज दरें और आर्थिक स्थिरता प्रभावित होती है।
रेपो रेट में कटौती का अर्थ क्या है?
रेपो रेट में कटौती का अर्थ है कि बैंकों को उधार लेने में कम खर्च होगा, जिससे वे ग्राहकों को सस्ते ऋण प्रदान कर सकेंगे।