क्या सरकार 10 लाख नागरिकों को फ्री एआई ट्रेनिंग देगी, ग्रामीण उद्यमियों को मिलेगी प्राथमिकता?

सारांश
Key Takeaways
- डिजिटल इंडिया का हिस्सा बनने का सुनहरा मौका।
- 10 लाख नागरिकों को फ्री एआई ट्रेनिंग मिलेगी।
- ग्रामीण उद्यमियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- सीएससी के माध्यम से डिजिटल कौशल का विकास।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में कदम।
नई दिल्ली, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत कार्यरत कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के सहयोग से कम से कम 10 लाख नागरिकों को एआई में मुफ्त प्रशिक्षण प्रदान करेगी।
आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "यदि हर गांव तक पहुंचने का कोई साधन है, तो वह सीएससी है। यह देश के 90 प्रतिशत गांवों में पहुंच चुका है।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "देशभर के ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) ने प्रत्येक नागरिक को डिजिटल इंडिया का लाभ पहुंचाकर एक मजबूत उदाहरण प्रस्तुत किया है।"
उन्होंने आगे कहा, "जब पूरी दुनिया सोच रही थी कि एक चायवाला या सब्जीवाला डिजिटल भुगतान कैसे प्राप्त कर सकता है, तब आज वह सपना साकार हो चुका है। यूपीआई भुगतान वीजा लेनदेन से भी आगे निकल गया है। यह 1.4 अरब भारतीयों की ताकत है।"
वैष्णव ने मयूरभंज जिले की वीएलई मंजुलता और मेघालय की वीएलई रोज एंजेलिना की प्रेरक कहानियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद, दोनों महिलाओं ने डिजिटल कौशल हासिल किए और अपने समुदायों को सशक्त बनाया।
वैष्णव ने आगे कहा, "मेघालय के पूर्वी-पश्चिमी खासी हिल्स की मनोरम पहाड़ियों और दूरदराज के गांवों के बीच, महिला वीएलई रोज एंजेलिना एम. खारसिंट्यू ने एक डिजिटल क्रांति की पटकथा लिखी है। मायरंग क्षेत्र में अपने केंद्र के माध्यम से, वह न केवल सेवाएं प्रदान कर रही हैं, बल्कि परिवर्तन, सशक्तिकरण और सामुदायिक सेवा की एक मिसाल भी कायम कर रही हैं।"
मंत्री ने सभी वीएलई से आईआरसीटीसी सेवाएं शुरू करने का आग्रह किया।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने डिजिटल खाई को पाटने में सीएससी की भूमिका पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, "डिजिटल इंडिया के लाभों को समाज के अंतिम छोर तक पहुंचाने का संकल्प हमारे वीएलई भाइयों और बहनों की मदद से आगे बढ़ रहा है। दस साल पहले, जब हमने डिजिटल इंडिया पहल शुरू की थी, तब प्रधानमंत्री का एक विकसित भारत की नींव रखने का विजन था।"
उन्होंने बताया कि 2014 में केवल 83,000 सीएससी केंद्र थे, जबकि आज इनकी संख्या बढ़कर लगभग 5.50 लाख हो गई है। प्रसाद ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को सीएससी के साथ एकीकृत करने पर जोर दिया और 74,000 से अधिक महिला वीएलई का आभार व्यक्त किया जो सशक्तिकरण के नए मानक स्थापित कर रही हैं।
उन्होंने कहा, "हम अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में हैं और यह तेजी से आगे बढ़ रहा है। समय के साथ, हमें लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।"