क्या सोना और चांदी का बुलिश ट्रेंड जारी है, प्रॉफिट बुकिंग के बावजूद सकारात्मक रुझान?
सारांश
Key Takeaways
- सोने की कीमतें ₹1,32,000 से ₹1,31,000 के स्तर के आसपास सपोर्ट में हैं।
- चांदी ने ₹2 लाख प्रति किलो के स्तर पर गिरावट देखी है।
- दीर्घकालिक रुझान सकारात्मक है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि गिरावट खरीदारी के अवसर प्रदान कर सकती है।
मुंबई, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पिछले कुछ महीनों में सोने और चांदी की कीमतों में असाधारण वृद्धि देखने को मिली है। हालांकि, हाल की प्रॉफिट बुकिंग के बावजूद इन कीमती धातुओं का बुलिश (सकारात्मक) रुझान अभी भी जारी है।
गोल्ड मुख्य प्रतिरोध (रेजिस्टेंस) स्तरों के करीब मजबूत बना हुआ है, वहीं चांदी ने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद कुछ गिरावट देखी है। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि भविष्य में वैश्विक संकेतों, ब्याज दरों और सुरक्षित निवेश की मांग से बाजार को नई दिशा मिलेगी।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, सोने की कीमतें वर्तमान में महत्वपूर्ण प्रतिरोध स्तरों के नीचे स्थिर हैं, जो यह दर्शाता है कि कुल मिलाकर ट्रेंड पॉजिटिव है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने को ₹1,32,000 से ₹1,31,000 के स्तर के आसपास सपोर्ट मिल रहा है। यदि कीमतें ₹1,35,000 से ऊपर जाती हैं, तो कमजोर रुपए और सुरक्षित निवेश की मांग के चलते गोल्ड ₹1,37,000 से ₹1,40,000 तक पहुंच सकता है।
चांदी ने ₹2 लाख प्रति किलो के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर तक पहुंचने के बाद तेज गिरावट देखी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट प्रॉफिट बुकिंग और अल्पकालिक नरमी को दर्शाती है। हालांकि, उनका कहना है कि चांदी का बुलिश रुझान तब तक बना रहेगा, जब तक उसकी कीमतें महत्वपूर्ण सपोर्ट क्षेत्रों से ऊपर बनी रहती हैं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि चांदी के लिए मजबूत तकनीकी सपोर्ट ₹1,80,000 से ₹1,81,000 के आस-पास है। यदि बिकवाली का दबाव बढ़ता है, तो यह स्तर और नीचे जा सकता है। निकट भविष्य में चांदी के लिए रेजिस्टेंस लेवल ₹1,95,000 से ₹2,00,000 प्रति किलो के बीच है। यदि चांदी इस स्तर से ऊपर जाती है, तो यह फिर से नए उच्चतम स्तर पर पहुंच सकती है, लेकिन यदि यह ₹1,90,000 से नीचे गिरती है, तो इसमें और गिरावट आ सकती है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि चांदी का दीर्घकालिक रुझान सकारात्मक है, क्योंकि उद्योगों से मजबूत मांग बढ़ रही है, विशेषकर सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और उन्नत निर्माण क्षेत्रों से। इसके अलावा, वैश्विक आपूर्ति में कमी भी इसका समर्थन कर रही है। एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया है कि कीमतों में कोई भी गिरावट दीर्घकालिक निवेशकों के लिए खरीदारी के अच्छे अवसर प्रदान कर सकती है।