क्या मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर पीली धातु की कीमतें गिरीं?
सारांश
Key Takeaways
- सोने की कीमतें 1 प्रतिशत गिरकर 1,22,950 रुपए प्रति 10 ग्राम पर रहीं।
- चांदी की कीमतें भी गिरकर 1,53,209 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गईं।
- अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने कीमती धातुओं पर दबाव डाला।
- ब्याज दर में कटौती की उम्मीदें सोने की कीमतों को प्रभावित कर रही हैं।
- भू-राजनैतिक घटनाओं की कमी ने सुरक्षित निवेश की अपील को कम किया।
मुंबई, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सोने की कीमतों में सोमवार के कारोबारी दिन में उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों में कमी और भू-राजनैतिक तनाव में कमी ने निवेशकों के मनोबल पर दबाव डाला, जिसके परिणामस्वरूप पीली धातु की कीमतों में गिरावट आई।
इसके साथ ही, अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने भी कीमती धातुओं पर दबाव डाला।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने की दिसंबर वायदा कीमतें 1 प्रतिशत की गिरावट के बाद 1,22,950 रुपए प्रति 10 ग्राम पर स्थिर रहीं। चांदी ने भी इसी प्रवृत्ति का अनुसरण किया, और प्रारंभिक कारोबार में चांदी की दिसंबर वायदा कीमतें 0.61 प्रतिशत की गिरावट के बाद 1,53,209 प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थीं।
विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय रुपया में सोने का समर्थन स्तर 1,23,450-1,22,480 रुपए पर बना हुआ है, जबकि 1,24,750-1,25,500 पर प्रतिरोध स्तर मौजूद है। चांदी के लिए 1,53,050-1,52,350 समर्थन स्तर के रूप में देखा जा रहा है और 1,55,140- 1,55,980 प्रतिरोध स्तर रहेगा।
हाल ही में जारी अमेरिकी रोजगार बाजार के आंकड़ों ने फेडरल रिजर्व के दिसंबर में ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की संभावना को कम कर दिया है, जिसे कीमतों में सुधार का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।
पिछले कारोबारी दिन शुक्रवार को मजबूत आर्थिक आंकड़ों ने यूएस डॉलर इंडेक्स को पिछले 6 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया।
सोमवार को यह इंडेक्स 100 के स्तर से ऊपर रहा, जिससे निवेशकों के लिए दूसरी मुद्रा को होल्ड करना और सोना एक महंगी धातु बन गई, जिससे मांग में कमी आई। हाल के दिनों में भू-राजनैतिक घटनाओं में कमी ने भी सोने की सुरक्षित निवेश अपील को कम किया।
विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले तीन कारोबारी सत्रों में बुलियन में उतार-चढ़ाव देखा गया है, जो व्यापारियों के निर्णय न लेने का संकेत देता है। लेकिन आने वाले हफ्तों में ब्याज दर में कटौती की अपेक्षा और भू-राजनैतिक जोखिम बने रहने के कारण सोने की खरीदारी का रुझान फिर से देखने को मिल सकता है।