क्या यूपीआई ने एक दिन में 1.02 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन रिकॉर्ड बनाया?

सारांश
Key Takeaways
- यूपीआई ने 1.02 लाख करोड़ रुपए का एक दिन में लेनदेन कर नया रिकॉर्ड बनाया।
- धनतेरस से दीपावली तक की अवधि में औसत लेनदेन 73.69 करोड़ रहा।
- जीएसटी दरों में कमी से उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में वृद्धि हुई।
- कैट के अनुसार, फेस्टिव सीजन में गुड्स की बिक्री 5.40 लाख करोड़ रुपए तक पहुंची।
- ऑफलाइन मार्केट में भी मांग में सुधार देखा गया।
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को जानकारी दी कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) प्लेटफॉर्म पर 18 अक्टूबर, यानी धनतेरस के दिन 1.02 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है, और इस दौरान लेनदेन की संख्या 75.4 करोड़ रही, जो एक दिन में लेनदेन का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
वित्त मंत्री ने उल्लेख किया कि धनतेरस से लेकर दीपावली के तीन दिनों के बीच यूपीआई पर औसत लेनदेन की संख्या 73.69 करोड़ रही, जो पिछले साल इसी अवधि में 64.74 करोड़ थी।
उन्होंने कहा कि इस साल खुदरा विक्रेताओं के लिए दीपावली का मौसम बेहद लाभदायक रहा है, और जीएसटी दरों में कटौती से उपभोक्ता की खपत बढ़ी है, जिससे मध्यम वर्ग को इस त्योहारी सीजन में खरीदारी का अवसर मिला है।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि बाजार में लैब में तैयार हीरों से लेकर कैजुअल वियर और घर सजाने वाले उत्पादों में भी तेजी आई है।
उन्होंने कहा, "इस सुधार ने स्लैब को युक्तिसंगत बनाकर और विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं पर दरें कम करके, परिवारों के लिए ठोस बचत प्रदान की है, जिससे खर्च योग्य आय बढ़ी है और मांग को प्रोत्साहित करने में मदद मिली है।"
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) के अनुसार, नवरात्रि से लेकर दीपावली तक चलने वाले फेस्टिव सीजन में गुड्स की बिक्री रिकॉर्ड 5.40 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। इस दौरान लगभग 65,000 करोड़ रुपए की सेवाएँ भी ग्राहकों द्वारा खरीदी गई हैं।
कैट की रिसर्च विंग के अनुसार, यह पिछले साल नवरात्रि से दीपावली की अवधि में हुई 4.25 लाख करोड़ रुपए की फेस्टिव सेल्स की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है।
सर्वेक्षण में बताया गया कि रिटेल की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत रही है। ऑफलाइन मार्केट में भी मांग अच्छी रही है।
कन्फेक्शनरी, होम डेकोर, जूते-चप्पल, रेडीमेड कपड़े, टिकाऊ उपभोक्ता सामान और दैनिक उपयोग की वस्तुओं जैसी श्रेणियों में जीएसटी दरों में कमी से मूल्य प्रतिस्पर्धा में काफी सुधार हुआ है, जिससे खरीदारी में इजाफा हुआ है।