क्या यूपीआई पेमेंट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी और क्यूआर कोड की संख्या 70.9 करोड़ हो गई?
सारांश
Key Takeaways
- यूपीआई पेमेंट्स में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।
- सक्रिय यूपीआई क्यूआर कोड की संख्या 70.9 करोड़ हो गई है।
- डिजिटल लेन-देन में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- क्रेडिट कार्ड लेन-देन में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- 2025 में इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड लाने की योजना है।
मुंबई, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में डिजिटल लेनदेन तेज़ी से बढ़ रहा है और अब लोग विशेष रूप से दुकानों पर इसकी अधिकता से उपयोग कर रहे हैं। जुलाई से सितंबर के बीच यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के माध्यम से 59.33 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 33.5 प्रतिशत अधिक है।
इस अवधि में कुल 74.84 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ, जो कि पिछले साल की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि देश में डिजिटल पेमेंट्स के तेजी से बढ़ने का संकेत देती है।
वर्ल्डलाइन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अब 70.9 करोड़ सक्रिय यूपीआई क्यूआर कोड हो गए हैं। यह संख्या जुलाई, 2024 से अब तक 21 प्रतिशत बढ़ी है। इन क्यूआर कोड का उपयोग अब किराना दुकानों, दवाइयों की दुकानों, बस-रेलवे स्टेशनों और गांवों तक पहुँच चुका है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई का उपयोग अब दुकानों पर भुगतान (पीटूएम– पर्सन टू मर्चेंट) के लिए अधिक हो रहा है। दुकानों पर होने वाले लेन-देन में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि 37.46 अरब ट्रांजैक्शन तक पहुँच गई है। व्यक्तियों के बीच होने वाले लेन-देन (पीटूपी– पर्सन टू पर्सन) में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि 21.65 अरब ट्रांजैक्शन तक पहुँच गई है।
हालांकि, यदि हम एक ट्रांजैक्शन की औसत राशि को देखें, तो यह घटकर 1,262 रुपए रह गई है, जो पहले 1,363 रुपए थी। इसका मतलब यह है कि लोग अब यूपीआई का अधिक उपयोग छोटी-छोटी खरीदारी जैसे खाना, यात्रा, दवाइयां और अन्य रोजमर्रा की चीज़ों के लिए कर रहे हैं।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत में पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों की संख्या भी बढ़ी है। ये मशीनें अब 35 प्रतिशत बढ़कर 12.12 मिलियन हो गई हैं। हालांकि, भारत में क्यूआर की संख्या में थोड़ी कमी आई है, क्योंकि लोग अब यूपीआई क्यूआर कोड का अधिक उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही क्रेडिट और डेबिट कार्ड से होने वाले लेन-देन में भी परिवर्तन आया है। क्रेडिट कार्ड से लेन-देन में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि डेबिट कार्ड से लेन-देन में 22 प्रतिशत की कमी आई है, क्योंकि लोग अब छोटी राशि के लेन-देन के लिए यूपीआई का अधिक उपयोग कर रहे हैं।
मोबाइल और टैप आधारित पेमेंट्स भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं। खासकर शहरों में और मेट्रो, टैक्सी जैसी सेवाओं में लोग अब बिना कार्ड स्वाइप किए मोबाइल से पेमेंट करना अधिक पसंद कर रहे हैं।
आने वाले समय में भारत में यूपीआई का उपयोग और भी बढ़ने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत और 2026 की शुरुआत में इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड को आम उपयोग में लाया जाएगा, जिससे लोग पेट्रोल पंप, अस्पतालों, सार्वजनिक सेवाओं और यात्रा जैसी जगहों पर एक ही क्यूआर कोड से पेमेंट कर सकेंगे।