क्या अदूर गोपालकृष्णन के एससी/एसटी एक्ट पर दिए बयान ने मचाई हलचल?

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क्या अदूर गोपालकृष्णन के एससी/एसटी एक्ट पर दिए बयान ने मचाई हलचल?

सारांश

फिल्म निर्माता अदूर गोपालकृष्णन के एससी/एसटी फिल्म निर्माताओं को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान ने सामाजिक और सांस्कृतिक जगत में हंगामा खड़ा कर दिया है। उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है, जो दर्शाता है कि समाज में जातिगत मुद्दे अभी भी महत्वपूर्ण हैं।

Key Takeaways

  • जातिगत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।
  • सरकारी सहायता की सच्चाई पर विचार करना चाहिए।
  • अदूर का बयान भ्रष्टाचार के मुद्दे को उजागर करता है।
  • फिल्म निर्माण के लिए सही प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
  • महिलाओं को भी समान अवसर मिलना चाहिए।

तिरुवनंतपुरम, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। फिल्म निर्माता अदूर गोपालकृष्णन के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) फिल्म निर्माताओं को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान ने सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया है। इस संबंध में उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

केरल के केआर नारायण इंस्टिट्यूट में जातिगत भेदभाव के खिलाफ छात्रों की हड़ताल को अदूर गोपालकृष्णन ने 'भद्दी हड़ताल' कहा और इसकी आलोचना की। साथ ही, उन्होंने सरकार के उस प्रोजेक्ट की भी निंदा की, जिसमें एससी/एसटी और महिलाओं के फिल्म निर्माताओं को धन दिया जा रहा है। यह बयान उन्होंने 3 अगस्त को तिरुवनंतपुरम में एक फिल्म सम्मेलन में दिया।

अदूर ने कहा, "मैंने अब तक 2 करोड़ रुपये से ज्यादा की कोई फिल्म नहीं बनाई है। लेकिन सरकार एससी/एसटी फिल्म निर्माताओं को 1.5 करोड़ रुपये दे रही है। इससे कुछ नहीं होगा, केवल भ्रष्टाचार का रास्ता खुलेगा। मैंने पहले भी सरकार को इस बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ। बेशक सरकार की मंशा अच्छी हो सकती है, लेकिन फिल्म बनाने से पहले निर्माताओं को कई महीनों की कड़ी ट्रेनिंग लेनी जरूरी है।"

उन्होंने आगे कहा कि सरकार जो 1.5 करोड़ रुपये दे रही है, उसे कम करके 50 लाख रुपये कर देना चाहिए।

अदूर ने कहा, "जो फिल्म निर्माता इस योजना के तहत चुने गए हैं, उनकी तरफ से बहुत शिकायतें आ रही हैं। वे सोचते हैं कि बस पैसा मिल गया, अब फिल्म बना देंगे। लेकिन उन्हें समझाया जाना चाहिए कि यह पैसा जनता का है। इसलिए पैसा कम देना चाहिए ताकि वे फिल्म बनाने की सारी मुश्किलें समझें। ये पैसे बड़ी-बड़ी, व्यावसायिक फिल्मों या सुपरस्टार फिल्मों के लिए नहीं हैं, बल्कि अच्छी और संदेशपूर्ण फिल्में बनाने के लिए हैं। महिलाओं के लिए भी यही बात लागू होती है, केवल इसलिए पैसे नहीं दिए जाने चाहिए कि वे महिलाएं हैं, उन्हें भी ट्रेनिंग लेनी जरूरी है।"

अदूर बोलते समय, दलित गायिका पुष्पावती ने अपना विरोध दिखाने के लिए खड़े होकर कुछ कहना चाहा।

अदूर ने आगे केआर नारायण इंस्टिट्यूट के छात्रों की हड़ताल का जिक्र किया। यह हड़ताल उन डायरेक्टर शंकर मोहन के खिलाफ थी, जिन पर जाति भेदभाव का आरोप था, जिसके चलते शंकर मोहन को इस्तीफा देना पड़ा। अदूर भी उस स्कूल के अध्यक्ष थे और उन्होंने शंकर का समर्थन किया था, इसलिए उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया था।

फिल्म सम्मेलन में अदूर ने कहा कि शंकर एक महान व्यक्ति हैं। हम दोनों उस फिल्म स्कूल की हालत सुधार रहे थे, जिसे लोग नजरअंदाज कर चुके थे। उस समय छात्रों की हड़ताल जरूरी नहीं थी। यह हड़ताल उस समय में हुई जब संस्थान देश में सबसे अच्छे संस्थानों में से एक बनने की कगार पर था।

Point of View

लेकिन यह महत्वपूर्ण सवाल उठाता है कि क्या सरकारी सहायता से असमानता खत्म की जा सकती है। हमें इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

अदूर गोपालकृष्णन कौन हैं?
अदूर गोपालकृष्णन एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्माता हैं, जो अपनी सामाजिक विषयों पर आधारित फिल्मों के लिए जाने जाते हैं।
अदूर के विवादित बयान में क्या कहा गया?
अदूर ने एससी/एसटी फिल्म निर्माताओं को धन देने की योजना की आलोचना की और इसे भ्रष्टाचार का रास्ता बताया।
क्या अदूर का बयान सही है?
बयान सही या गलत हो सकता है, लेकिन यह सामाजिक मुद्दों पर चर्चा का एक अवसर प्रदान करता है।
क्या इस मामले में केस दर्ज किया गया है?
हाँ, अदूर के बयान के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
इस विवाद का क्या असर होगा?
यह विवाद समाज में जातिगत भेदभाव को लेकर जागरूकता बढ़ा सकता है और बहस को प्रेरित कर सकता है।