क्या अमिताभ बच्चन ने समय, बदलती आदतों और यादों पर अपने विचार साझा किए?
सारांश
Key Takeaways
- समय के साथ सब कुछ बदलता है।
- यादें केवल यादें होती हैं, उन्हें सम्मान दें।
- अतीत के अनुभवों से सीखना महत्वपूर्ण है।
- पीढ़ियों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान होना चाहिए।
- हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ आज भी प्रासंगिक हैं।
मुंबई, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने हाल ही में अपने ब्लॉग में समय के परिवर्तन, व्यक्तियों के बदलते व्यवहार और यादों के महत्व पर अपनी गहरी सोच साझा की।
उन्होंने कहा कि समय के साथ दुनिया, हमारी आदतें, सोच और संस्कृति बदलती रहती है। जो लोग पहले थे, वे अब नहीं हैं, और आज के लोग भी भविष्य में पुराने समय के रूप में याद किए जाएंगे।
बिग बी ने अपने ब्लॉग की शुरुआत में अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता की कुछ लाइनें साझा कीं और लिखा, "तुमने हमें पूज-पूज कर पत्थर कर डाला, वो जो हम पर जुमले कसते हैं, हमें जिंदा तो समझते हैं।"
इसके आगे उन्होंने लिखा, "समय बदलता है, दुनिया बदलती है। नजरिए, आदतें बदलते हैं, संस्कृति बदलती है। लोग बदलते हैं। जो तब थे, अब नहीं हैं और जल्द ही जो 'अब' हैं, वे समय के साथ 'तब' के संदर्भ में होंगे।"
बच्चन ने अपने ब्लॉग में यह स्पष्ट किया कि अतीत की दुखभरी यादें सिर्फ यादें ही रह जाती हैं और उनका बार-बार सोचना व्यर्थ है। उन्होंने सुझाव दिया कि इन्हें सम्मान दें और उन पलों का आनंद लें, क्योंकि वे समय के साथ जीवन के अनुभवों का हिस्सा बन गए हैं।
उन्होंने लिखा, "'तब' के विलाप आज के समय में गूंजते रहते हैं। वे बस एक याद बनकर रह जाएंगे। उन्हें यादों में ही रहने दें। उस पर विलाप करना आपके 'तब' से जुड़े शरीर पर हावी होगा। उसका सम्मान करें और उसका आनंद लें; वे 'तब' कितने आनंददायक थे।"
इसके आगे अमिताभ ने अपने पिता की एक और कविता की लाइनें साझा की। उन्होंने लिखा, "पुरानों, पुरानी कहो, नयी सुनो। नयी, नयी कहो, पुरानी सुनो!"
उन्होंने लिखा कि उनके पिताजी की कविताएँ समय के साथ भी प्रासंगिक और अर्थपूर्ण बनी रहती हैं। सालों बाद भी उनकी कविताओं के शब्द अपने गहरे अर्थ और सत्यता के कारण लोगों के दिलों को छूते हैं। पुराने लोग नए विचारों को सुनें और नए लोग पुराने अनुभवों और विचारों को समझें, जिससे पीढ़ियों के बीच ज्ञान और अनुभव का आदान-प्रदान बना रहे।