क्या फिल्मकार आनंद गांधी ने 'माया' को समाज में बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया है?

सारांश
Key Takeaways
- माया एक अद्वितीय साइंस फिक्शन फिल्म है।
- यह समाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है।
- इसमें विभिन्न कहानी कहने के फॉर्मेट्स शामिल हैं।
- फिल्म का निर्माण 4 वर्षों में किया गया है।
- यह आज की पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देती है।
मुंबई, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध फिल्मकार आनंद गांधी ने गेम डिज़ाइनर जैन मेमन के सहयोग से 'माया नैरेटिव यूनिवर्स' का निर्माण किया है। यह एक पौराणिक कथा पर आधारित साइंस फिक्शन फिल्म है, जिसे एआई द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
आनंद ने वर्तमान समय के बारे में चर्चा करते हुए कहा, "हम मानव इतिहास के उस दौर के गवाह बन रहे हैं, जब लोगों को अपनी राय बनाने का अवसर नहीं दिया जा रहा। माया इसका एक उत्तर है। यह केवल मनोरंजन नहीं करती, बल्कि आपको सशक्त भी बनाती है।"
गेम डिज़ाइनर और तकनीकी विशेषज्ञ जैन मेमन ने कहा, "माया हीरो और विलेन की कहानी नहीं है। यह आज की पीढ़ी से जुड़े विवादों जैसे सच्चाई बनाम रूढ़िवादिता, नवाचार बनाम निष्क्रियता, स्वतंत्रता बनाम नियंत्रण और क्या होना चाहिए बनाम क्या नहीं की व्याख्या करती है।" उन्होंने बताया कि माया एक अद्वितीय साइंस फिक्शन फैंटेसी फिल्म है, जिसे डिपार्टमेंट ऑफ लोर इंक ने बनाया है।
माया विभिन्न प्रकार की कहानी कहने के फॉर्मेट्स को बढ़ावा देती है। जैसे कि फिल्में, गेम्स, उपन्यास, खिलौने और ग्राफिक उपन्यास। इसकी यात्रा माया: सीड्स टेक्स रूट्स नामक पहले उपन्यास के लॉन्च से शुरू होती है, जो 19 अगस्त 2025 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिलीज होगी।
इसमें साइंस फिक्शन, फैंटेसी और गहन दार्शनिक पड़तालों का सम्मिलन है। माया आधुनिक युग के अत्यधिक जागरूक लोगों के लिए है। यह उन प्रश्नों का सामना करती है जिन्हें हम अनदेखा करते हैं, जैसे कि हमारे विचारों पर कैसे प्रभाव डाला जाता है, हमारे निर्णय लेने की क्षमता को कैसे नियंत्रित किया जाता है, और हमारे भविष्य को कैसे परिवर्तित किया जाता है।
डिपार्टमेंट ऑफ लोर ने इसे 4 वर्षों से अधिक के समय में तैयार किया है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों का योगदान है, जैसे दार्शनिक, भाषाशास्त्री, जीवविज्ञानी और प्रणाली सिद्धांतिक।