क्या गरीबी में जन्म लेने के बाद राजनीति ने गोविंदा का करियर खत्म किया?

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क्या गरीबी में जन्म लेने के बाद राजनीति ने गोविंदा का करियर खत्म किया?

सारांश

गोविंदा का जीवन संघर्ष, मेहनत और राजनीतिक चुनौतियों से भरा रहा है। जानें कैसे उन्होंने गरीबी से उठकर अपने करियर में सफलता पाई और राजनीति में कदम रखा। क्या यह उनके करियर के लिए सही निर्णय था?

Key Takeaways

  • गोविंदा का जन्म गरीबी में हुआ था लेकिन उन्होंने संघर्ष किया।
  • उनका करियर 80 के दशक में ऊंचाई पर पहुंचा।
  • राजनीति में आने के बाद उनके करियर में गिरावट आई।
  • उनकी मां ने उन्हें 'चीची' नाम से पुकारा।
  • गोविंदा ने डांस में महारत हासिल की और कई हिट फिल्में दीं।

मुंबई, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। 80 के दशक में कई प्रमुख सितारों ने अपने एक्शन और लुक्स से दर्शकों का दिल जीता, लेकिन जब 1980 में गोविंदा ने सिनेमा में कदम रखा, तो वे देखते ही देखते दर्शकों के दिलों में बस गए।

अभिनेता ने अपने करियर के चरम पर एक साल में 15 फिल्में साइन कीं, लेकिन उनकी प्रारंभिक जिंदगी और करियर दोनों ही संघर्ष से भरे थे। गोविंदा इस रविवार को अपना 62वां जन्मदिन मनाएंगे।

यह सच है कि हिम्मत और मेहनत से इंसान हर बाधा को पार कर सकता है, और गोविंदा ने इसे साबित कर दिखाया। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ, जब उनके परिवार को हवेली से चॉल में जाना पड़ा। उनके पिता अरुण आहूजा, 1940 के दशक के अभिनेता थे, जिन्होंने 'औरत' और 'एक ही रास्ता' जैसी फिल्मों में काम किया।

अभिनेता के पिता ने फिल्में प्रोड्यूस कीं, और इसी कारण परिवार को चॉल में रहना पड़ा। गोविंदा का जन्म ऐसे समय में हुआ जब उनके पिता का करियर ढलान पर था।

गोविंदा को घर में प्यार से 'चीची' पुकारा जाता है, जो उनके छोटे होने के कारण उनकी मां ने रखा। उनकी मां का मानना था कि वे भगवान श्री कृष्ण की तरह सभी समस्याओं को हल कर देंगे, और सच में गोविंदा ने अपने परिवार को गरीबी से निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

करियर की शुरुआत में अभिनेता को एक्टर बनने का सपना था, लेकिन उन्हें डांस सीखने के लिए कहा गया। जावेद जाफरी के शो 'बूगी-वूगी' में उन्होंने बताया कि उन्हें जावेद जाफरी का एक वीडियो दिखाया गया, जिसके बाद उन्होंने डांस सीखा। बाद में, कोरियोग्राफर सरोज खान ने उन्हें डांस की ट्रेनिंग दी।

1986 में 'इल्जाम' फिल्म से गोविंदा ने अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन 1990 का दशक उनके लिए स्वर्णिम काल साबित हुआ। 'हीरो नंबर 1', 'साजन चले ससुराल', 'राजा बाबू', और 'कुली नंबर 1' जैसी फिल्में हिट हुईं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उस समय गोविंदा एक फिल्म के लिए 1 करोड़ रुपये चार्ज करते थे।

2004 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा, कांग्रेस में शामिल हुए और नॉर्थ मुंबई से चुनाव जीते। इसके बाद उनके फिल्मी करियर में गिरावट आई, और उन्होंने खुद स्वीकार किया कि राजनीति में आने के कारण उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली। कई राजनेताओं ने उनके दुश्मन बन गए, और उन्होंने कहा कि उनकी फिल्मों को राजनेताओं के जरिए रिलीज होने से रोका गया।

Point of View

बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे राजनीति में कदम रखने के बाद एक कलाकार का करियर प्रभावित हो सकता है। यह कहानी सभी के लिए प्रेरणा है, जो किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं।
NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

गोविंदा का असली नाम क्या है?
गोविंदा का असली नाम 'गोविंदा आहूजा' है।
गोविंदा ने किस साल में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा?
गोविंदा ने 1986 में फिल्म 'इल्जाम' से अपने करियर की शुरुआत की।
गोविंदा को किस शो से डांस सीखने का अवसर मिला?
उन्हें जावेद जाफरी के शो 'बूगी-वूगी' से डांस सीखने का अवसर मिला।
गोविंदा की कौन सी फिल्में हिट हुईं?
'हीरो नंबर 1', 'साजन चले ससुराल', 'राजा बाबू', और 'कुली नंबर 1' जैसी फिल्में हिट हुईं।
गोविंदा ने राजनीति में कब कदम रखा?
गोविंदा ने 2004 में राजनीति में कदम रखा।
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