क्या <b>'बारामूला'</b> कश्मीर के दर्द को गहराई से दर्शाती है? अनुपम खेर के अनुभव
सारांश
Key Takeaways
- कश्मीरी पंडितों की कहानी को गहराई से दिखाया गया है।
- फिल्म 'बारामूला' भावुक और प्रेरणादायक है।
- अनुपम खेर ने इसे एक महत्वपूर्ण फिल्म माना है।
मुंबई, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर अक्सर सोशल मीडिया पर अपनी राय बेझिझक व्यक्त करते हैं। हाल ही में, उन्होंने फिल्म 'बारामूला' देखी और इसकी प्रशंसा में कोई कमी नहीं रखी।
अभिनेता अनुपम खेर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा, "मैंने बेंगलूरु से मुंबई लौटते ही एक अद्भुत फिल्म देखी, जिसका नाम 'बारामूला' है। इसे देखने के बाद मैं बहुत भावुक हो गया। यह भारतीय सिनेमा की एक महत्वपूर्ण फिल्म है।"
उन्होंने फिल्म की सराहना करते हुए कहा, "आदित्य धर और आदित्य सुहास जांभले ने इस फिल्म में बेहतरीन कार्य किया है। उन्होंने कश्मीरी पंडितों की कहानी को जिस तरह से प्रस्तुत किया है, वह अद्वितीय है, और मैं यह एक कश्मीरी पंडित के तौर पर नहीं, बल्कि एक दर्शक के रूप में कह रहा हूं।"
खेर ने फिल्म के मुख्य अभिनेता मानव कौल समेत अन्य कलाकारों की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि फिल्म का अंतिम दृश्य बहुत ही भावुक करने वाला है। उन्होंने बताया, "फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' ने कश्मीरी पंडितों के कष्टों को व्यक्त किया था, लेकिन 'बारामूला' उन दर्द को और गहराई से उजागर करती है।"
अभिनेता ने कहा कि आज तक किसी ने कश्मीरी पंडितों के दुःख को सही से नहीं समझा। अगर ऐसा होता, तो इस फिल्म की आवश्यकता ही क्यों होती?
वीडियो में उन्होंने लिखा, "शनिवार रात मैंने आदित्य धर और आदित्य सुहास की फिल्म बारामूला देखी और उसके बाद काफी देर तक नींद नहीं आई। यह फिल्म डरावनी और दुःखदायी है (विशेषकर मेरे लिए, क्योंकि मैं कश्मीरी हिंदू हूं)। यह सिनेमाई दृष्टि से शानदार है और हमारे समय की अत्यंत महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है। बारामूला की पूरी टीम को उनके मेहनत और अद्भुत कार्य के लिए सलाम।"
फिल्म 'बारामूला' की पटकथा आदित्य धर ने लिखी है और इसे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक आदित्य सुहास जांभले ने निर्देशित किया है। इस फिल्म का निर्माण लोकेश धर, ज्योति देशपांडे और आदित्य धर ने मिलकर किया है।