क्या भारतीय ‘शास्त्रीय गायन की रानी’ परवीना सुल्ताना की आवाज ने बिखेरा जादू? 25 की उम्र में मिला ‘पद्मश्री पुरस्कार’

Click to start listening
क्या भारतीय ‘शास्त्रीय गायन की रानी’ परवीना सुल्ताना की आवाज ने बिखेरा जादू? 25 की उम्र में मिला ‘पद्मश्री पुरस्कार’

सारांश

क्या आप जानते हैं कि परवीना सुल्ताना, जिन्हें 'शास्त्रीय गायन की रानी' का खिताब मिला है, ने महज 25 साल की उम्र में 'पद्मश्री पुरस्कार' जीता? उनकी अद्वितीय आवाज और गायकी की विविधता ने उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है। जानें इस महान गायिका के जीवन की प्रेरणादायक कहानी।

Key Takeaways

  • परवीन सुल्ताना का जन्म 10 जुलाई 1950 को हुआ।
  • उन्होंने 5 वर्ष की उम्र से गायन की शुरुआत की।
  • वह पटियाला घराने की प्रमुख गायिका हैं।
  • महज 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार जीता।
  • उनकी गायकी ने भारतीय संगीत को विश्व मंच पर पहचान दिलाई।

नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जब हम भारतीय शास्त्रीय संगीत के अद्वितीय नामों की चर्चा करते हैं, तो पंडित भीमसेन जोशी, पंडित जसराज, उस्ताद राशिद खान और पंडित रविशंकर के साथ परवीना सुल्ताना का नाम भी गर्व से लिया जाता है। पटियाला घराने की इस असाधारण गायिका ने अपनी मधुर, शक्तिशाली और भावपूर्ण आवाज से भारतीय शास्त्रीय संगीत को न केवल भारत में बल्कि वैश्विक मंच पर भी एक नई पहचान दी है। उनकी गायकी में ख्याल, ठुमरी, भजन और गजल जैसे विविध रूपों का समावेश है, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।

परवीन सुल्ताना का जन्म 10 जुलाई 1950 को असम के नगांव में हुआ था। उन्हें ख्याल, ठुमरी, भजन और तराना गायकी में महारत हासिल है। उनकी प्रस्तुतियां रागों की गहराई, तकनीकी कुशलता और आत्मिक भक्ति का अनूठा संगम पेश करती हैं, जिससे उन्हें ‘शास्त्रीय गायन की रानी’ का खिताब प्राप्त हुआ। चाहे मंच पर उनकी तीव्र तानें हों या फिल्मों में उनके चुनिंदा गीत, परवीन सुल्ताना का योगदान भारतीय संगीत की अमूल्य धरोहर है।

5 साल की उम्र से गायन शुरू करने वाली परवीन ने अपने पिता इकरामुल माजिद से प्रारंभिक संगीत शिक्षा ली। बाद में, उन्होंने आचार्य चिन्मय लाहिरी और उस्ताद दिलशाद खान से गायकी की बारीकियां सीखीं। उस्ताद दिलशाद खान ने उनकी गायकी को और निखारा।

12 वर्ष की आयु में 1962 में उन्होंने अपना पहला मंच प्रदर्शन दिया और 1965 से संगीत रिकॉर्ड करना शुरू किया। पटियाला घराने की गायिका के रूप में उन्होंने ख्याल, ठुमरी, दादरा, चैती, कजरी और भजन जैसे विविध रूपों में महारत हासिल की और अपनी गायकी से लोगों के दिलों पर राज किया। इसके अलावा, उन्होंने फिल्म 'पाकीजा' और 'कुदरत' में भी अपनी आवाज दी।

1976 में, महज 25 वर्ष की उम्र में, वह पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करने वाली सबसे कम उम्र की महिला बनीं। 2014 में उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया।

परवीन ने अपने पति उस्ताद दिलशाद खान के साथ अमेरिका, फ्रांस, रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और दुबई जैसे देशों में भी प्रदर्शन किया। परवीन सुल्ताना भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक ऐसी हस्ती हैं जिन्होंने अपनी अनूठी आवाज और समर्पण से विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है।

Point of View

मैं यह कह सकता हूं कि परवीन सुल्ताना का योगदान भारतीय संगीत के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी आवाज ने न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का नाम रोशन किया है। उनका समर्पण और मेहनत हमें प्रेरित करते हैं।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

परवीना सुल्ताना का जन्म कब और कहाँ हुआ?
परवीना सुल्ताना का जन्म 10 जुलाई 1950 को असम के नगांव में हुआ था।
परवीना सुल्ताना को कौन-कौन से पुरस्कार मिले हैं?
उन्हें पद्मश्री, पद्म भूषण, गंधर्व कला निधि, मियां तानसेन पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
उन्होंने कितनी उम्र में गायन शुरू किया?
परवीन ने महज 5 साल की उम्र में गायन शुरू किया था।
उनका गायन किस घराने से संबंधित है?
वे पटियाला घराने की गायिका हैं।
उन्होंने कौन-कौन सी फिल्मों में गाने गाए हैं?
उन्होंने फिल्म 'पाकीजा' और 'कुदरत' में गाने गाए हैं।