क्या देहरादून में अनुभव सिन्हा को मिला 'जाना-पहचाना'?
सारांश
Key Takeaways
- अनुभव सिन्हा ने 'चल पिक्चर चलें' यात्रा की शुरुआत की है।
- देहरादून में उनकी पुरानी यादें ताजा हुईं।
- यह यात्रा सिनेमा और दर्शकों के बीच संवाद का एक प्रयास है।
- निर्देशक ने कई सफल फिल्मों का निर्माण किया है।
- यह यात्रा प्रमोशनल से अधिक एक संवाद का पुल है।
मुंबई, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। निर्देशक अनुभव सिन्हा ने 'चल पिक्चर चलें' नामक एक अनोखी यात्रा की शुरुआत की है। शुक्रवार को उन्होंने देहरादून में अपनी यात्रा के दौरान कुछ दिलचस्प घटनाओं को साझा किया।
अनुभव सिन्हा ने इंस्टाग्राम पर अपनी देहरादून यात्रा की कुछ तस्वीरें साझा कीं। उन्होंने कैप्शन में लिखा, "देहरादून पहुंचते ही मेरे लिए यादों के नए दरवाजे खुल गए। मैं एक अखबार के दफ्तर में बैठा था, तब मैंने उत्तराखंड के नक्शे पर कालागढ़ देखा और याद आया कि मेरे पहले नौ साल वहीं बीते थे। मुझे देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश की पुरानी बातें याद आ गईं। मेरी सबसे पुरानी तस्वीर लक्ष्मण झूले की है।"
उन्होंने आगे कहा, "देहरादून में पहाड़ी में छिपे एक रेस्टोरेंट में जब खाना परोसा गया, तो सब कुछ बेहद जाना-पहचाना लगा। वहाँ की वेशभूषा और खान-पान ने मुझे चौंका दिया। मुझे नहीं पता था कि यह यात्रा इतनी दिलचस्प होगी।"
वास्तव में, अनुभव सिन्हा ने 'चल पिक्चर चलें' नामक यात्रा का आरंभ किया है, जिसमें देहरादून उनके सफर का एक हिस्सा है।
कुछ समय पहले, उन्होंने एक वीडियो में प्रशंसकों से पूछा था कि फिल्में न चलने के पीछे का कारण क्या है, और घोषणा की कि वे जानने के लिए 'चल पिक्चर चलें' नामक यात्रा शुरू कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि यह टूर आम जनता को करीब से जानने और समझने के लिए है कि वे सिनेमा से क्या चाहते हैं और किस प्रकार की कहानियां देखना पसंद करते हैं।
यह यात्रा लखनऊ से शुरू हुई थी, और इसके बाद वे कई शहरों में जा चुके हैं।
निर्देशक का कहना है कि यह यात्रा केवल एक प्रमोशनल टूर नहीं है, बल्कि एक सिनेमाई संवाद का पुल है, जो मुंबई की चमक-दमक से दूर, ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत की आवाज़ को सुनने का प्रयास है।
अनुभव ने अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्में बनाई हैं, जिनमें 'आर्टिकल 15,' 'मुल्क,' 'थप्पड़,' 'भीड़,' 'अनेक,' और 'गुलाब गैंग' शामिल हैं।