क्या 'उमराव जान' के रोमांटिक सीन के दौरान हंगामा हुआ था?
सारांश
Key Takeaways
- फारुख शेख का अद्भुत अभिनय भारतीय सिनेमा का हिस्सा रहा है।
- 'उमराव जान' का रोमांटिक सीन प्रसिद्ध है।
- फिल्म की शूटिंग के दौरान तनावपूर्ण माहौल था।
- फारुख शेख का किस्सा हमेशा याद रहेगा।
- उनकी फिल्मों ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाला।
मुंबई, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिवंगत अभिनेता फारुख शेख भारतीय सिनेमा के अनमोल सितारे थे, जिन्होंने अपनी स्वाभाविक अभिनय शैली से दर्शकों के दिलों में एक विशेष स्थान प्राप्त किया। उन्होंने पर्दे पर अपने हर एक किरदार को अद्भुत तरीके से जीवंत किया। चाहे वह 'उमराव जान' में नवाब की भूमिका हो या 'बाजार' में सरजू, दर्शक उनकी अभिनव कला को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
'गरम हवा', 'चश्मे बद्दूर', 'किसी से न कहना' और 'उमराव जान' में फारुख शेख के निभाए किरदार आज भी याद किए जाते हैं। उनके अभिनय के साथ-साथ उनकी फिल्मों से जुड़े कई दिलचस्प किस्से भी हैं। ऐसा ही एक मजेदार किस्सा है साल 1981 में प्रदर्शित उनकी फिल्म 'उमराव जान' से संबंधित, जिसे उन्होंने एक इंटरव्यू में साझा किया था। ध्यान देने योग्य है कि 28 दिसंबर को दिवंगत अभिनेता की पुण्यतिथि है।
दिग्गज निर्देशक मुजफ्फर अली की क्लासिक फिल्म 'उमराव जान' में नवाब सुल्तान का किरदार फारुख शेख के करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इस फिल्म से जुड़ा एक मजेदार लेकिन डरावना किस्सा खुद फारुख शेख ने एक इंटरव्यू में बताया था।
फारुख शेख ने बताया, "'उमराव जान' में एक सुंदर रोमांटिक सीन था, जिसमें उमराव (रेखा) और नवाब सुल्तान (फारुख) एक शाम को खूबसूरत स्थान पर मिलते हैं। यह दृश्य लखनऊ के पास मलीहाबाद में एक निजी मकान में फिल्माया जा रहा था। उस समय रेखा सुपरस्टार थीं, जिससे शूटिंग स्थल पर भीड़ इकट्ठा हो जाती थी। गांव में यह खबर फैल गई कि रेखा और फारुख का रोमांटिक सीन चल रहा है। लोगों को लगा कि 'फारुख की तो निकल पड़ी', लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत थी।"
फारुख ने हंसते हुए आगे बताया, "लोगों को लगता था कि रोमांटिक कमरा, वहां खूबसूरत रेखा, तो फारुख की लॉटरी लग गई, लेकिन असलियत में हम सब तनाव में थे। मैं, निर्देशक मुजफ्फर अली, पूरी फिल्म यूनिट और रेखा सभी चिंतित थे। कारण था गांव वालों की जिज्ञासा। कमरे छोटे थे, लेकिन ग्रामीण उस रोमांटिक सीन को देखने के लिए बेताब थे। कोई खिड़की से झांकने की कोशिश करता, कोई दरवाजे के पास चिपक जाता। माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया कि लोगों को टालने के लिए कभी कहा जाता कि सीन कल शूट होगा, कभी दूसरे समय, लेकिन उतावले ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे।"
फारुख शेख ने बताया, "यहां तक कि गोली चलने की नौबत आ गई थी। कुछ लोगों ने बंदूकें तक निकाल लीं। उस तनाव भरे माहौल में भी हमने सीन को बेहतरीन तरीके से निभाया। स्क्रीन पर नवाब सुल्तान उमराव पर प्यार लुटाते नजर आते हैं, जबकि असल में पूरी टीम डरी हुई थी।"
फारुख शेख का 28 दिसंबर 2013 को दुबई में हार्ट अटैक से निधन हो गया था। वह समानांतर सिनेमा के नायाब सितारे थे, जिन्होंने 'गरम हवा' से डेब्यू किया और अपनी हर एक फिल्म के जरिए एक विशेष छाप छोड़ी। फारुख शेख ने टीवी पर 'जीना इसी का नाम है' जैसे शो होस्ट किए। वह थिएटर में भी सक्रिय रहे।