क्या हिमानी शिवपुरी के लिए 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के सेट पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा?

सारांश
Key Takeaways
- हिमानी शिवपुरी ने अपने करियर के लिए कठिनाइयों का सामना किया।
- यशराज फिल्म्स ने कलाकारों के प्रति संवेदनशीलता दिखाई।
- एक कलाकार का निजी जीवन भी उनके पेशेवर जीवन को प्रभावित कर सकता है।
- सपनों की पूर्ति के लिए संघर्ष आवश्यक होता है।
- सपोर्ट सिस्टम का होना बहुत जरूरी है।
मुंबई, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के देहरादून में एक मिडिल क्लास गढ़वाली परिवार में पली-बढ़ी हिमानी भट्ट शिवपुरी ने अपने पिता हरिदत्त भट्ट की कविताओं और हिंदी की कक्षाओं से प्रेरित होकर स्कूल के मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाई। अपने भाई हिमांशु भट्ट के साथ मिलकर दून स्कूल के बॉयज हॉस्टल में नाटक की प्रैक्टिस की और फिर डीएवी कॉलेज से केमिस्ट्री की डिग्री प्राप्त की। लेकिन उनके दिल में हमेशा से एक्टिंग का सपना था।
वह दिल्लीएनएसडी में १९८२ से १९८४ तक प्रशिक्षण लिया। उन्होंने 'अब आएगा मजा' से सहायक भूमिका में अपने करियर की शुरुआत की। 'हम आपके हैं कौन' में राजश्री प्रोडक्शन ने उन्हें पहली व्यावसायिक सफलता दिलाई। इसके बाद यश चोपड़ा की फिल्मों में चाची-मामी के किरदार निभाकर वह प्रसिद्ध हो गईं। उन्होंने 'परदेस', 'अंजाम', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे', 'हीरो नंबर 1' और 'कुछ कुछ होता है' जैसी फिल्मों में अपने किरदार से दर्शकों का दिल जीता। साथ ही, टीवी पर 'हप्पू की उल्टन पलटन', 'ससुराल सिमर का' जैसे धारावाहिकों में भी अपनी छाप छोड़ी।
हिमानी शिवपुरी को 90 के दशक में हिंदी सिनेमा की सबसे विश्वसनीय सहायक अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। उनके चेहरे पर हमेशा एक सहज मुस्कान और अभिनय में थिएटर की गहरी सादगी देखने को मिलती है। उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से जुड़ी एक व्यक्तिगत कहानी है, जो बताती है कि पर्दे के पीछे की हंसी कितनी गहरी पीड़ा में छिपी थी। यह कहानी एक ऐसे समय की है जब एक कलाकार को अपने सबसे बड़े व्यक्तिगत नुकसान के बीच भी पेशेवर जिम्मेदारी निभानी पड़ी।
फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' की शूटिंग हिमानी शिवपुरी के करियर के सबसे व्यस्त और सफल दौर में हुई थी। फिल्म में उन्होंने काजोल की 'कम्मो चाची' का किरदार निभाया, जो हल्के-फुल्के रोमांस और अनुपम खेर के साथ हंसी-मजाक के लिए यादगार रहा।
फिल्म के एक महत्वपूर्ण हिस्से की शूटिंग के दौरान, हिमानी के जीवन में अचानक एक बड़ा निजी संकट आ गया। उनके पति, अभिनेता ज्ञान शिवपुरी का निधन हो गया।
यह त्रासदी तब हुई जब फिल्म का क्लाइमेक्स सीन शूट होना बाकी था। क्लाइमेक्स में उनका और अनुपम खेर का एक छोटा लेकिन भावनात्मक सीन था। हिमानी शिवपुरी ने तुरंत अपने घर के लिए उड़ान भरी, क्योंकि उस समय उन्हें अपने इकलौते बेटे की देखभाल करनी थी और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में शामिल होना था।
जब वह वापस नहीं लौट पाईं, तो यशराज फिल्म्स की यूनिट को उनके क्लाइमेक्स सीन को हटाना पड़ा। वह फिल्म के मुख्य कलाकारों में एकमात्र अभिनेत्री थीं, जो आइकॉनिक ट्रेन वाले क्लाइमेक्स सीन में मौजूद नहीं थीं, जबकि उनका सीन स्क्रिप्ट का हिस्सा था।
हिमानी शिवपुरी ने बाद में साझा किया कि यशराज बैनर और निर्देशक आदित्य चोपड़ा ने उस कठिन समय में उन्हें पूरा समर्थन दिया। यूनिट उनके दुख को समझती थी और किसी ने भी उन पर वापस लौटने का दबाव नहीं डाला, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि उनकी व्यक्तिगत त्रासदी का असर उन पर न पड़े।