क्या फिल्म इंडस्ट्री को सस्ते सिनेमाघरों की आवश्यकता है? : अनुभव सिन्हा

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क्या फिल्म इंडस्ट्री को सस्ते सिनेमाघरों की आवश्यकता है? : अनुभव सिन्हा

सारांश

फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा ने फिल्म इंडस्ट्री की अर्थव्यवस्था को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनके अनुसार, सस्ते सिनेमाघरों की कमी और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का बढ़ता प्रभाव इंडस्ट्री के लिए गंभीर चुनौती बन गया है। क्या यह मुद्दा फिल्म व्यवसाय को संकट में डाल सकता है?

Key Takeaways

  • सस्ते सिनेमाघरों की आवश्यकता है।
  • ओटीटी का बढ़ता प्रभाव चिंता का विषय है।
  • मध्यम वर्ग के बिजनेस पर असर पड़ सकता है।
  • पायरेसी पर ध्यान देना जरूरी है।
  • सिंगल स्क्रीन थिएटरों का पुनः उद्घाटन आवश्यक है।

मुंबई, 10 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। ‘मुल्क’, ‘थप्पड़’ और ‘भीड़’ जैसी चर्चित फिल्मों के निर्माता अनुभव सिन्हा ने फिल्म इंडस्ट्री की आर्थिक स्थिति और इसके भविष्य को लेकर अपनी चिंताओं का इज़हार किया। उन्होंने एक वीडियो के माध्यम से थिएटर और ओटीटी के बीच हो रही बहस पर अपने विचार साझा किए।

सिन्हा का कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री को अपनी आर्थिकी को बचाने के लिए सिनेमाघरों की मजबूत संरचना स्थापित करनी होगी।

उन्होंने कहा, "फिल्म इंडस्ट्री ने हमेशा समय के साथ परिवर्तन को अपनाया है। पहले फिल्में केवल सिनेमाघरों में दिखाई जाती थीं, फिर दूरदर्शन, सैटेलाइट टीवी और मल्टीप्लेक्स आए। हर बार इंडस्ट्री ने इन बदलावों का स्वागत किया। लेकिन अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के साथ नई चुनौतियाँ सामने आई हैं। पहले ओटीटी पर फिल्में दिखाने में किसी को दिक्कत नहीं थी, लेकिन अब ओटीटी वाले कम फिल्में ले रहे हैं और कम पैसे दे रहे हैं। हमारी आर्थिकी अब ओटीटी पर निर्भर हो गई है, और इससे समस्या उत्पन्न हो रही है।"

सिन्हा ने दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया। पहला, फिल्म रिलीज होने के अगले दिन टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर फिल्में क्यों उपलब्ध हो जाती हैं, इस पर कोई चर्चा नहीं होती और न ही इंडस्ट्री इसका विरोध करती है। दूसरा, मल्टीप्लेक्स के महंगे टिकटों के कारण मध्यम वर्ग के लोग सिनेमाघरों में फिल्में देखने से कतराने लगे हैं। उन्होंने बताया कि वाराणसी में केवल एक सिंगल स्क्रीन थिएटर बचा है, बाकी सभी खत्म हो चुके हैं। मल्टीप्लेक्स ने ‘5 स्टार सिनेमा’ का मॉडल अपनाया, जिससे सिंगल स्क्रीन थिएटर बंद हो गए। यह मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ा नुकसान है, जो महंगे टिकट नहीं खरीद सकता।

सिन्हा ने कहा कि सिंगल स्क्रीन थिएटरों को फिर से स्थापित करने का यह सही समय है। उन्होंने कहा, “मध्यम वर्ग के पास दो ही विकल्प हैं। या तो महंगे मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखें या अपने फोन पर। सस्ते सिनेमाघरों का अभाव है।”

उन्होंने दक्षिण भारत का उदाहरण दिया, जहाँ सिंगल-स्क्रीन थिएटरों की उपस्थिति के कारण लोग कम कीमत में फिल्में देखते हैं। लेकिन हिंदी सिनेमा में ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है।

सिन्हा ने यह भी कहा कि फिल्म इंडस्ट्री को अपनी व्यवस्था इतनी मजबूत बनानी होगी कि वह ओटीटी, यूट्यूब या अन्य प्लेटफॉर्म्स के बदलावों से प्रभावित न हो। उन्होंने यूट्यूब का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर यूट्यूब भविष्य में ज्यादा रेवेन्यू मांगे या कम फिल्में दिखाए, तो इंडस्ट्री को फिर दिक्कत होगी। इसलिए, सिनेमाघरों पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि असल बहस टेलीग्राम पर पायरेसी और मध्यम वर्ग के लिए सस्ते टिकटों की उपलब्धता पर होनी चाहिए। सिन्हा ने चेतावनी दी कि अगर फिल्म इंडस्ट्री ने इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया, तो बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

Point of View

NationPress
10/08/2025

Frequently Asked Questions

अनुभव सिन्हा ने किस विषय पर चिंता जताई?
अनुभव सिन्हा ने फिल्म इंडस्ट्री की अर्थव्यवस्था और सस्ते सिनेमाघरों की कमी पर चिंता जताई है।
क्या सिंगल स्क्रीन थिएटरों का पुनः उद्घाटन आवश्यक है?
सिन्हा का मानना है कि सिंगल स्क्रीन थिएटरों का पुनः उद्घाटन करना आवश्यक है, ताकि मध्यम वर्ग को सस्ते विकल्प मिल सकें।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का क्या प्रभाव है?
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने फिल्म इंडस्ट्री की आय को प्रभावित किया है, क्योंकि वे कम फिल्में ले रहे हैं और कम पैसे दे रहे हैं।