क्या किशोरावस्था में लड़कियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? अभिनेत्री कुशा कपिला ने साझा किए अपने अनुभव

Click to start listening
क्या किशोरावस्था में लड़कियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? अभिनेत्री कुशा कपिला ने साझा किए अपने अनुभव

सारांश

किशोरावस्था एक चुनौतीपूर्ण समय है, खासकर लड़कियों के लिए। अभिनेत्री कुशा कपिला ने इस दौरान होने वाली भावनात्मक और शारीरिक कठिनाइयों पर खुलकर बात की। जानिए उनके अनुभव और विचार, जो इस संवेदनशील विषय पर नई रोशनी डालते हैं।

Key Takeaways

  • किशोरावस्था में शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन होते हैं।
  • सामाजिक दबाव और असुरक्षा का अनुभव करना सामान्य है।
  • खुले संवाद से लड़कियों की समझ बढ़ती है।
  • महिलाओं के हार्मोनल चक्र को समझना आवश्यक है।
  • पुरुषों को महिलाओं के अनुभवों का सम्मान करना चाहिए।

मुंबई, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेत्री और कंटेंट क्रिएटर कुशा कपिला ने सोहा अली खान के पॉडकास्ट 'ऑल अबाउट हर' में किशोरावस्था में लड़कियों को आने वाली भावनात्मक और शारीरिक चुनौतियों पर चर्चा की।

कुशा कपिला ने कहा, ''किशोरावस्था, जिसे हम प्यूबर्टी कहते हैं, एक लड़की के लिए बेहद संवेदनशील समय होता है। इस दौरान उनका चेहरा, शरीर और संरचना बदलने लगती है। कभी-कभी कोई लड़की अपने सहेलियों से पहले विकसित हो जाती है, तो कोई बाद में, जिससे उनमें शर्मिंदगी, असहजता या आत्मसंदेह की भावना उत्पन्न हो सकती है।''

उन्होंने साझा किया कि जब वह सिर्फ १० या ११ साल की थीं, तब उनका शरीर अन्य लड़कियों की तुलना में अधिक परिपक्व लगने लगा था, जिसके कारण वह खुद को लेकर बहुत सतर्क हो गई थीं।

कुशा ने बताया, ''किशोरावस्था में बच्चों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे किसके साथ समय बिता रहे हैं। यह एक बेहद संवेदनशील उम्र है और गलत प्रभाव उन्हें गहराई से प्रभावित कर सकता है। समाज में अक्सर लड़कियों की बढ़ती उम्र पर नजर रखने वाले लोग होते हैं, जिससे वे अधिक सतर्क हो जाती हैं।''

उन्होंने एक घटना साझा की जब वह छुट्टियों में गोवा गई थीं। वहां उन्होंने कुछ लड़कियों से अपनी उम्र छिपाकर खुद को दो साल बड़ा बताया, क्योंकि उनका शरीर पहले से ही परिपक्व था।

कुशा ने कहा, ''आज भी लड़कियों को अपने शरीर को लेकर कई उलझनें होती हैं। मेरा एक पेज है, जहां स्कूल जाने वाली लड़कियां पूछती हैं कि यूनिफॉर्म के साथ क्या पहनना चाहिए। आज भी शिक्षा और परिवारों में ऐसे विषयों पर खुलकर बात नहीं की जाती। लड़कियां इन आवश्यक जानकारियों के लिए इंटरनेट या सोशल मीडिया का सहारा ले रही हैं, जो चिंताजनक है।''

कुशा ने महिलाओं के हार्मोनल चक्र और इससे जुड़ी परेशानियों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, ''एक महिला की जिंदगी में महीने में केवल ४-५ दिन ऐसे होते हैं जब वह खुद को पूरी तरह सामान्य महसूस करती है। बाकी समय वह पीरियड्स के दर्द, मूड स्विंग्स या पीसीओडी जैसी समस्याओं से जूझती रहती है। इसलिए यह आवश्यक है कि पुरुष इन बातों को समझें और सहानुभूति रखें, न कि असंवेदनशील टिप्पणी करें। खास तौर पर कार्यस्थलों पर महिलाओं के मूड या व्यवहार पर सवाल उठाना बिल्कुल गलत है।''

Point of View

बल्कि सामाजिक भी। यह आवश्यक है कि हम इन विषयों पर खुलकर चर्चा करें और सहानुभूति का वातावरण बनाएं। कुशा कपिला के अनुभव हमें यह समझाते हैं कि लड़कियों की भावनात्मक और शारीरिक समस्याओं को समझना और उनका सम्मान करना कितना महत्वपूर्ण है।
NationPress
19/09/2025

Frequently Asked Questions

किशोरावस्था में लड़कियों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
किशोरावस्था में लड़कियों को भावनात्मक असुरक्षा, शारीरिक परिवर्तन, और सामाजिक दबाव जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
किशोरावस्था के दौरान लड़कियों को क्या करना चाहिए?
लड़कियों को अपने साथियों से खुलकर बात करनी चाहिए और अपने अनुभवों को साझा करना चाहिए।