क्या तनिष्क बागची ने संगीत का महत्व बताया? बोले- पढ़ाई से नहीं, हम सुनकर ज्यादा सीखते हैं

सारांश
Key Takeaways
- संगीत सुनना महत्वपूर्ण है।
- बचपन में सीखे गए संगीत के प्रभाव।
- कोलकाता की सांस्कृतिक धरोहर का महत्व।
- संगीत में विविधता का समावेश।
- हिंदी म्यूजिक मार्केट में सकारात्मक बदलाव।
मुंबई, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मोहित सूरी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘सैयारा’ के गानों में तनिष्क बागची के संगीत को काफी सराहा जा रहा है। उन्होंने ‘सैयारा’ का टाइटल ट्रैक एक यादगार गीत के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने अपनी उन प्रेरणाओं के बारे में चर्चा की, जिन्होंने उनके कलाकार व्यक्तित्व को बचपन से ही विकसित किया।
तनिष्क बागची का मानना है कि हम पढ़ाई के माध्यम से नहीं, बल्कि सुनने से अधिक सीखते हैं।
कोलकाता में पले-बढ़े तनिष्क ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया, "मैंने बचपन से विभिन्न प्रकार का संगीत सुना। मेरे माता-पिता दोनों गिटारिस्ट हैं। मैंने भारतीय शास्त्रीय संगीत, पश्चिमी शास्त्रीय संगीत और रॉक म्यूजिक का अनुभव किया।"
कोलकाता, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और संगीत विरासत के लिए जाना जाता है, ने उनके संगीत के सफर को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
तनिष्क ने बताया, "कोलकाता की हर गली में रॉक बैंड मिलते हैं। मैंने बांग्लादेश के प्रसिद्ध रॉक बैंड्स जैसे ‘लव रन्स ब्लाइंड’ और ‘आर्क’ के साथ काम किया है। मैं काफी समय तक डीजे भी रहा, जहां मैंने विदेशी डांस म्यूजिक और डीजे के लिए गाने बनाए।"
उन्होंने लोक संगीत, खासकर बाउल गीतों को भी सुना, जो उनके क्षेत्र में एक बाउल बैंड के कारण उनके जीवन का हिस्सा बन गया।
उन्होंने कहा, "मेरे संगीत में हर तरह का मिश्रण है। मैंने विभिन्न प्रकार के संगीत का अनुभव किया और मुझे लगता है कि सुनना सीखने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। सुनने से आप वह ज्ञान प्राप्त करते हैं जो पढ़ाई से नहीं मिल सकता। यह दिमाग को खोलता है।"
तनिष्क ने पहले भी कहा था कि ‘सैयारा’ के एल्बम को मिली प्रतिक्रिया हिंदी म्यूजिक मार्केट में सकारात्मक बदलाव का संकेत देती है। उन्होंने बताया कि इंस्टाग्राम रील्स और ऑडियो स्ट्रीमिंग सर्विसेज के कारण म्यूजिक मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन लोग अब भी गीतों में मेलोडी की तलाश करते हैं, न कि केवल रोबोटिक आवाजों की।