क्या परिवार का नाम अवसर देता है, लेकिन दबाव भी लाता है? : विष्णु मांचू

सारांश
Key Takeaways
- परिवार का नाम अवसर देता है, लेकिन दबाव भी लाता है।
- खुद के लिए निर्णय लेना जरूरी है।
- अपनी पहचान बनाना महत्वपूर्ण है।
- फिल्म निर्माण और एक्टिंग में संतुलन आवश्यक है।
- अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए।
नई दिल्ली, २५ जून (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध अभिनेता और फिल्म निर्माता मोहन बाबू के पुत्र विष्णु मांचू ने स्वीकार किया कि उनके परिवार का नाम होने के कारण उन्हें कुछ अवसर मिले, लेकिन इसके साथ ही उन पर दबाव भी था। राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें असली खुशी और उद्देश्य तब मिला जब उन्होंने दूसरों की अपेक्षाओं के पीछे भागना छोड़ दिया और अपने लिए निर्णय लेने शुरू किए।
विष्णु मांचू ने कहा कि जब उन्होंने अपनी अलग पहचान बनानी शुरू की, तो यह यात्रा दबाव से शुरू होकर एक उद्देश्य तक पहुंची।
उन्होंने कहा, “सरनेम निश्चित रूप से काम के मौके देता है, लेकिन इसके साथ दबाव भी बहुत होता है। शुरूआत में मैं सबकी अपेक्षाओं को पूरा करने की कोशिश कर रहा था, जो बहुत थका देने वाला था। लेकिन असली उद्देश्य तब मिला जब मैंने यह समझा कि पारिवारिक विरासत का मतलब यह नहीं है कि मैं सब कुछ अपने पिता जैसा करूं, बल्कि यह आजादी है कि मैं अपने मन का काम कर सकूं और नए तरीके से कुछ कर सकूं।”
विष्णु मांचू ने कहा, “जब मैंने दूसरों से अपनी तुलना करना बंद किया, तब मेरे निर्णय, चाहे वे अच्छे हों या गलत, मेरी जिम्मेदारी और पहचान बन गए।”
विष्णु मांचू वर्तमान में अपनी आगामी फिल्म 'कनप्पा' की रिलीज का इंतजार कर रहे हैं। वे केवल एक अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक फिल्म निर्माता और उद्यमी भी हैं।
जब उनसे पूछा गया कि वे खुद को किस रूप में सबसे सच्चा और सही महसूस करते हैं? तो विष्णु मांचू ने तुरंत उत्तर दिया, 'प्रोड्यूसर और अभिनेता के रूप में।'
उन्होंने आगे कहा, “फिल्म बनाना मेरी योजना बनाने वाली सोच को मजबूत करता है, और एक्टिंग मुझे अपने काम की असलियत से जोड़े रखती है। जब ये दोनों काम एक साथ चलते हैं, तो मैं कहानी की पूरी जिम्मेदारी ले सकता हूं, बजट से लेकर आखिरी सीन तक, और कहीं भी एक्टिंग से समझौता नहीं करना पड़ता।”