क्या एकनाथ सोलकर की शानदार फील्डिंग आज भी याद की जाती है?

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क्या एकनाथ सोलकर की शानदार फील्डिंग आज भी याद की जाती है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि एकनाथ सोलकर की फील्डिंग ने उन्हें क्रिकेट के इतिहास में अमर बना दिया? इस लेख में हम उनकी शानदार फील्डिंग और जीवन के संघर्ष को उजागर करते हैं। ऐसे अद्भुत क्रिकेटर की कहानी जो आज भी हमें प्रेरित करता है।

Key Takeaways

  • एकनाथ सोलकर की फील्डिंग ने उन्हें अमर बना दिया।
  • उन्होंने शॉर्ट लेग पर साहस का परिचय दिया।
  • उनके कैचिंग कौशल ने भारत को कई मैचों में जीत दिलाई।
  • सोलकर का जीवन संघर्ष और कड़ी मेहनत की मिसाल है।
  • उनका योगदान क्रिकेट इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा।

नई दिल्ली, 25 जून (राष्ट्र प्रेस)। क्रिकेट के प्रति लोगों का प्यार अक्सर बल्लेबाजी और गेंदबाजी से जुड़ा होता है, लेकिन आज हम एक ऐसे भारतीय क्रिकेटर की चर्चा कर रहे हैं, जिन्हें उनकी शानदार फील्डिंग के लिए हमेशा याद किया जाता है।

हम बात कर रहे हैं एकनाथ सोलकर की, जो अक्सर शॉर्ट लेग पर फील्डिंग करते थे, जो कि एक बहुत ही जोखिम भरी पोजिशन मानी जाती है।

शॉर्ट लेग वही स्थान है, जहां फील्डर बल्लेबाज के निकट होता है। यहां बल्लेबाज का कोई भी शॉट फील्डर के लिए खतरा बन सकता है। यह वही पोजिशन है, जहां रमन लांबा चोटिल हुए थे, जिससे उनकी जान तक चली गई। लेकिन एकनाथ सोलकर ने हमेशा साहस का परिचय दिया!

18 जनवरी 1948 को महाराष्ट्र में जन्मे एकनाथ सोलकर एक बेहद गरीब परिवार से थे। उनके पिता बॉम्बे के हिंदू जिमखाना मैदान में ग्राउंड्समैन थे।

उन्होंने एक छोटे से कमरे में अपने माता-पिता और पांच भाई-बहनों के साथ जीवन बिताया। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि उन्हें अच्छे अवसर नहीं मिल पा रहे थे।

धीरे-धीरे एकनाथ सोलकर ने अपनी गेंदबाजी से बॉम्बे के खिलाड़ियों को प्रभावित किया और बाद में उन्हें बॉम्बे के लिए डेब्यू करने का अवसर मिला।

सोलकर ने 1966-67 में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया और 38 रन देकर छह विकेट लिए। अक्टूबर 1969 में उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट टीम में डेब्यू का मौका मिला। 1970-71 में जब टीम इंडिया ने पहली बार वेस्टइंडीज को हराया, उस मैच में सोलकर ने छह कैच लपके। 1971 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत की जीत में भी उनकी कैचिंग का बड़ा योगदान था।

जुलाई 1974 में उन्हें भारत के लिए वनडे मैच खेलने का अवसर मिला।

सोलकर ने 27 टेस्ट खेलते हुए 53 कैच लपके। उन्होंने 48 पारियों में 25.42 की औसत से 1068 रन बनाए और गेंदबाजी में 18 विकेट लिए।

वनडे में, सोलकर ने चार मैचों में 4 विकेट और 27 रन बनाए।

उनकी खेल प्रतिभा के लिए उन्हें 1972 में अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। दुनिया के बेहतरीन फील्डर्स में शुमार एकनाथ सोलकर का निधन 26 जून 2005 को हुआ।

Point of View

बल्कि उन्होंने अपने अद्वितीय साहस और खेल के प्रति समर्पण से भारत को गौरवान्वित किया। उनकी फील्डिंग ने हमें यह सिखाया कि मेहनत और साहस से हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है। इस दृष्टिकोण से हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
NationPress
25/06/2025

Frequently Asked Questions

एकनाथ सोलकर का क्रिकेट करियर कब शुरू हुआ?
एकनाथ सोलकर ने 1966-67 में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया।
क्या एकनाथ सोलकर को कोई पुरस्कार मिला?
हाँ, उन्हें 1972 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया।
एकनाथ सोलकर का जन्म कब हुआ?
उनका जन्म 18 जनवरी 1948 को महाराष्ट्र में हुआ।
एकनाथ सोलकर ने कितने टेस्ट मैच खेले?
उन्होंने 27 टेस्ट मैच खेले।
एकनाथ सोलकर का निधन कब हुआ?
उनका निधन 26 जून 2005 को हुआ।