क्या जहीर खान 'इंजीनियर' के बजाय 'स्विंगर' बनकर देश का नाम रोशन कर पाए?

सारांश
Key Takeaways
- जहीर खान ने अपने खेल से क्रिकेट की दुनिया में एक नई पहचान बनाई।
- उन्होंने स्विंग गेंदबाजी में महारत हासिल की।
- उनका विश्व कप में प्रदर्शन अद्वितीय रहा।
- पिता की सलाह ने उनकी दिशा बदली।
- जहीर का करियर प्रेरणादायक है।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के पूर्व तेज गेंदबाज जहीर खान ने अपनी स्विंग और सटीक लाइन-लेंथ से देश को कई मैच जिताए हैं। भारत को साल 2011 में विश्व कप खिताब जिताने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले जहीर खान गेंद को दोनों ओर स्विंग कराने की अद्भुत क्षमता रखते थे।
7 अक्टूबर 1978 को महाराष्ट्र के श्रीरामपुर में जन्मे जहीर खान का सपना एक इंजीनियर बनना था, लेकिन उनके पिता की एक सलाह ने उनकी किस्मत बदल दी।
जहीर खान एक उत्कृष्ट तेज गेंदबाज थे। उनके पिता की सोच, अन्य पिताओं से बिल्कुल भिन्न थी। उन्होंने चाहा कि बेटा इंजीनियरिंग की बजाय देश के लिए क्रिकेट खेले।
एक दिन पिता ने जहीर से कहा कि देश में इंजीनियर की कमी नहीं है, लेकिन उन्हें तेज गेंदबाज बनना चाहिए, ताकि वे देश की सेवा कर सकें। जहीर भी पिता की बात मानने के लिए सहमत हो गए।
जब जहीर खान 17 साल के थे, तो उनके पिता उन्हें मुंबई ले गए। जहीर के टैलेंट को पहचानते हुए उन्हें एमआरएफ पेस फाउंडेशन में खेलने का अवसर मिला। वहां कोच डेनिस लिली ने उनकी क्षमता को पहचाना और उनकी गेंदबाजी में सुधार किया।
जहीर खान ने जिमखाना के खिलाफ फाइनल मैच में सात विकेट लेकर सुर्खियां बटोरीं। उन्हें मुंबई और वेस्ट जोन की अंडर-19 टीम में भी जगह मिली।
घरेलू स्तर पर शानदार प्रदर्शन के बाद बाएं हाथ के तेज गेंदबाज जहीर खान को साल 2000 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू का मौका मिला। उसी वर्ष उन्होंने भारत के लिए टेस्ट और वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया।
जहीर खान ने साल 2002 में कुल 15 टेस्ट खेले, जिसमें 29 की औसत के साथ 51 विकेट अपने नाम किए। अगले तीन साल में जहीर खान ने 9, 19 और 10 विकेट हासिल किए।
खराब फॉर्म के चलते जहीर खान को टीम से बाहर बैठना पड़ा। इस दौरान उन्होंने बल्लेबाजों को चकमा देने के लिए नकल बॉल का आविष्कार किया और टीम में शानदार वापसी की।
जहीर खान स्विंग के महारथी थे। उनकी गेंदों को पढ़ने के लिए बल्लेबाजों को बहुत मेहनत करनी पड़ती थी।
जहीर खान गेंद को दोनों ओर स्विंग कराने में माहिर थे। वह नई और पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग में भी निपुण थे। उनकी सटीक लाइन और लेंथ बल्लेबाजों को परेशान करती थी। जहीर की यॉर्कर बहुत प्रभावशाली थी। बाएं हाथ का स्वाभाविक कोण दाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए अक्सर मुश्किल पैदा करता था।
जहीर खान ने वर्ल्ड कप 2003 में सौरव गांगुली की अगुवाई में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने उस विश्व कप में 11 मुकाबलों में 18 विकेट हासिल किए। वह टूर्नामेंट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले चौथे गेंदबाज रहे। इसके बाद जहीर विश्व कप 2007 की टीम में भी जगह बनाने में सफल रहे।
साल 2011 में भारत को विश्व कप खिताब जिताने में जहीर खान का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिन्होंने 9 मुकाबलों में 18.76 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए। वह शाहिद अफरीदी के साथ सर्वाधिक विकेट लेने वाले संयुक्त रूप से नंबर-1 गेंदबाज रहे।
जहीर खान ने टेस्ट करियर में 92 मुकाबले खेले, जिसमें 32.94 की औसत के साथ 311 विकेट अपने नाम किए। इस दौरान उन्होंने 11 बार पारी में 5 या इससे अधिक विकेट हासिल किए।
वहीं, 200 वनडे मुकाबलों में उन्होंने 29.43 की औसत के साथ 282 विकेट निकाले। इसके अलावा, 17 टी20 मैचों में उनके नाम 17 विकेट रहे।
जहीर खान ने 169 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 672 विकेट हासिल किए हैं। उन्होंने 253 लिस्ट-ए मैचों में 357 विकेट निकाले।