क्या आईएमए ने कफ सिरप त्रासदी में डॉक्टर की गिरफ्तारी को गलत बताया?

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क्या आईएमए ने कफ सिरप त्रासदी में डॉक्टर की गिरफ्तारी को गलत बताया?

सारांश

मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के बाद आईएमए ने गंभीर प्रतिक्रिया दी है। यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। संगठन ने डॉक्टर की गिरफ्तारी को कानूनी अज्ञानता बताया और उचित मुआवजे की मांग की है। जानिए इस विवाद के पीछे की सच्चाई क्या है।

Key Takeaways

  • मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से बच्चों की मृत्यु की घटना।
  • आईएमए ने प्रशासनिक लापरवाही पर चिंता व्यक्त की।
  • डॉक्टर की गिरफ्तारी को गलत बताया गया।
  • मुआवजे की मांग की गई है।
  • दवा निर्माताओं की जिम्मेदारी पर जोर दिया गया।

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के मामले में उठे विवाद पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। आईएमए ने इस घटना को प्रशासनिक और नियामक निकायों की गंभीर लापरवाही का परिणाम बताया है और कहा कि डॉक्टर की गिरफ्तारी कानूनी अज्ञानता का एक उदाहरण है। संगठन ने प्रभावित परिवारों और डॉक्टरों के लिए उचित मुआवजे की मांग की है।

आईएमए ने कहा कि मध्य प्रदेश में कफ सिरप की इस त्रासदी और उसे लिखने वाले डॉक्टर की गिरफ्तारी अधिकारियों और पुलिस की कानूनी अज्ञानता का एक स्पष्ट उदाहरण है। आईएमए ने वास्तविक दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई और प्रभावित परिवारों व बदनामी का शिकार हुए डॉक्टर को पर्याप्त मुआवजे की मांग की है। शनिवार को परासिया पुलिस स्टेशन में कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में तैनात एक शिशु रोग विशेषज्ञ और मेसर्स श्रीसन फार्मास्युटिकल्स, कांचीपुरम, तमिलनाडु के निदेशकों पर एफआईआर दर्ज की गई। उन पर बीएनएस धारा 105 और 276 के साथ-साथ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 27 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। बीएमओ की रिपोर्ट के तुरंत बाद डॉक्टर की गिरफ्तारी, नियामक निकायों और संबंधित दवा कंपनी की गलतियों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश को दर्शाती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि दवा बनाने वाली कुछ कंपनियां खांसी के सिरप बनाने में महंगे और सुरक्षित ग्लिसरीनप्रोपाइलीन ग्लाइकोल की जगह सस्ते, जहरीले पदार्थ जैसे औद्योगिक डीईजी और इथाइलीन ग्लाइकोल का इस्तेमाल कर सकती हैं। ये जहरीले पदार्थ दिखने में सुरक्षित सामग्री जैसे होते हैं, लेकिन अगर निर्माता और नियामक स्तर पर गुणवत्ता जांच में चूक हो, तो ये सिरप बच्चों में किडनी खराब होने या मृत्यु का कारण बन सकते हैं। पहले भी कई देशों में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। डॉक्टर को यह पता नहीं होता कि कोई सिरप जहरीला है, जब तक कि मरीजों में इसके दुष्परिणाम सामने न आएं। इसलिए, ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए कड़े नियम और सख्त जांच जरूरी है। कई लोग बिना डॉक्टर की सलाह के दुकानों से खांसी के सिरप खरीद लेते हैं, जिससे जरूरत से ज्यादा बच्चे इनका सेवन करते हैं। ज्यादातर मामलों में खांसी और जुकाम बिना सिरप के भी ठीक हो जाते हैं। जब डॉक्टर सिरप लिखते हैं, तो वे बच्चे की स्थिति देखकर ऐसा करते हैं।

बयान में कहा गया कि 2003 की माशेलकर रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में नियामक प्रणाली की समस्याएं मुख्यतः राज्य और केंद्र स्तर पर अपर्याप्त या कमजोर औषधि नियंत्रण ढांचे, अपर्याप्त परीक्षण सुविधाओं, औषधि निरीक्षकों की कमी, प्रवर्तन में एकरूपता का अभाव, विशिष्ट नियामक क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मियों की कमी, डेटा बैंक का अभाव और सटीक जानकारी की अनुपलब्धता के कारण थीं। इस मामले में, सीडीएससीओ और एमपीएफडीए कथित कफ सिरप में डीईजी की सांद्रता की निगरानी करने में विफल रहे।

आईएमए ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों का रवैया जनता में विश्वास बढ़ाने के बजाय परेशानी पैदा कर रहा है। एक डॉक्टर को गिरफ्तार करना, जिसे योग्य प्राधिकरण द्वारा मंजूर दवा लिखने का अधिकार है, गलत संदेश देता है। देशभर के डॉक्टर इस तरह की कार्रवाई से डरे हुए हैं। यह स्पष्ट रूप से ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धारा 17 बी के तहत नकली दवा का मामला है, जिसमें दवा को पूरी तरह या आंशिक रूप से किसी अन्य पदार्थ से बदल दिया गया है। खांसी की सिरप की मंजूरी, उसकी गुणवत्ता और सामग्री की निगरानी पूरी तरह ड्रग नियामक प्रणाली के दायरे में आता है। एक बार दवा को मंजूरी मिलने और बाजार में उपलब्ध होने के बाद, रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर को इसे लिखने का पूरा अधिकार है। ड्रग कंट्रोलर का फार्मेसियों को मंजूर दवा की आपूर्ति रोकने का निर्देश देना उनकी योग्यता और अधिकार क्षेत्र से बाहर है। पहले भी कंट्रोलर ने कुछ दवाओं को केवल विशिष्ट विशेषज्ञताओं तक सीमित करने के लिए ऐसी सलाह दी थी, जो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के दायरे से बाहर सत्ता का दुरुपयोग है।

आईएमए ने आगे कहा कि वह देश में औषधि नियामक प्रणाली की अक्षमता और अपर्याप्तता तथा इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से निपटने में हुई लापरवाही से चिंतित है। इन असहाय बच्चों की मौत का ज़िम्मेदार पूरी तरह से दवा निर्माताओं और अधिकारियों पर है। चिकित्सा पेशे को धमकाना अनुचित है और इसका विरोध किया जाएगा।

Point of View

बल्कि यह देश की स्वास्थ्य प्रणाली की **निर्माण** और **नियामक** ढांचे की **कमजोरी** को भी उजागर करता है। आईएमए की प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि हमें अपने स्वास्थ्य सिस्टम में सुधार की आवश्यकता है।
NationPress
06/10/2025

Frequently Asked Questions

कफ सिरप त्रासदी में डॉक्टर की गिरफ्तारी क्यों हुई?
डॉक्टर की गिरफ्तारी प्रशासनिक और कानूनी अज्ञानता का परिणाम है।
आईएमए का इस मामले में क्या कहना है?
आईएमए ने इसे प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण बताया है और उचित मुआवजे की मांग की है।
क्या कफ सिरप में जहरीले पदार्थ हो सकते हैं?
हाँ, कुछ कंपनियां सस्ते जहरीले पदार्थों का इस्तेमाल कर सकती हैं, जो बच्चों के लिए खतरनाक हैं।
आईएमए किस प्रकार की कार्रवाई की मांग कर रहा है?
आईएमए ने वास्तविक दोषियों पर कार्रवाई और प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की है।
क्या डॉक्टरों को इस मामले से डरना चाहिए?
हाँ, इस तरह की गिरफ्तारी से डॉक्टरों में डर और असुरक्षा बढ़ी है।