क्या देव आनंद ने अपनी पहली कमाई एक भिखारी को दान कर दी थी?

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क्या देव आनंद ने अपनी पहली कमाई एक भिखारी को दान कर दी थी?

सारांश

देव आनंद की कहानी केवल एक अभिनेता की नहीं है, बल्कि एक संवेदनशील इंसान की भी है। उनकी पहली कमाई को एक भिखारी को दान करने का किस्सा उनकी दरियादिली को दर्शाता है। जानिए कैसे इस महान कलाकार ने मानवता का परिचय दिया।

Key Takeaways

  • देव आनंद का जीवन हमें मानवता की सिखाता है।
  • उनकी संवेदनशीलता और दरियादिली अद्वितीय थी।
  • उन्होंने अपने करियर में कई हिट फिल्में बनाई।
  • उनका प्रोडक्शन हाउस नवकेतन फिल्म्स ने नई प्रतिभाओं को मौका दिया।
  • उनकी आत्मकथा में मानवीयता का महत्व बताया गया है।

मुंबई, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। देव आनंद हिंदी सिनेमा के एक सदाबहार अभिनेता रहे हैं, जिन्हें अपने समय का रोमांटिक आइकन माना जाता है। उनका व्यक्तित्व अत्यंत करिश्माई था, जिनकी तेज आंखें, मुस्कुराता चेहरा और अनोखा अंदाज सभी के दिल को छू लेता था।

उनकी डायलॉग डिलीवरी और रोमांटिक किरदारों ने उन्हें लाखों दिलों की धड़कन बना दिया। वह अपने जमाने के रोमांस के प्रतीक बन गए थे। हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम दौर में उन्होंने १९४० से १९८० तक 'गाइड', 'ज्वेल थीफ', 'हम दोनों', और 'हरे रामा हरे कृष्णा' जैसी फिल्मों के जरिए सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

इसके बाद उन्होंने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस, नवकेतन फिल्म्स खोला, जिसके तहत उन्होंने अनेक हिट फिल्में बनाई। इस बैनर के जरिए उन्होंने बोल्ड कहानियों और नए टैलेंट को मौका दिया। बतौर निर्देशक भी देव आनंद ने नए विषयों और कहानी कहने के तरीकों से सिनेमा को समृद्ध किया।

२६ सितंबर १९२३ को जन्मे देव आनंद ने परदे पर 'रोमांसिंग विद लाइफ' का जो जज्बा दिखाया, वह उनकी असल जिंदगी में भी था। लेकिन उनके जीवन का एक किस्सा यह बताता है कि उनकी शख्सियत केवल रोमांस तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि उसमें गजब की संवेदनशीलता और दरियादिली भी शामिल थी। यह किस्सा उनके शुरुआती संघर्ष और उनकी पहली कमाई से जुड़ा हुआ है, जिसने उनकी महानता को उजागर किया।

यह कहानी तब की है जब देव आनंद मुंबई में एक अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उनके पास न तो रहने के लिए अच्छी जगह थी और न ही खाने के लिए पैसे। कई बार तो उन्हें भूखे सोना पड़ता था। ऐसे ही कठिन समय में, उन्हें अपनी पहली फिल्म 'हम एक हैं' के लिए ४०० रुपये की फीस मिली। यह उनके लिए केवल पैसा नहीं था, बल्कि उम्मीद की एक नई किरण थी।

जब वह अपनी शूटिंग खत्म करके लौट रहे थे, तो रास्ते में उनकी नजर एक बूढ़े और कमजोर भिखारी पर पड़ी जो भूख से तड़प रहा था। उसे देखकर देव आनंद को अपने संघर्ष के दिन याद आ गए। उन्होंने बिना कुछ सोचे अपनी जेब से वह पूरी कमाई निकालकर उस भिखारी के हाथों में रख दी।

जब उनके एक दोस्त को इस बात का पता चला, तो वह आश्चर्यचकित हो गया। उसने देव आनंद से पूछा, "तुमने अपनी पहली कमाई ऐसे ही क्यों दे दी? तुम्हें इसकी सख्त जरूरत थी!"

इस पर देव आनंद ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "पैसा तो फिर कमा लूंगा, लेकिन किसी को भूख से तड़पते हुए देखने का दर्द दोबारा नहीं सह सकता।"

यह किस्सा देव आनंद की गहरी सहानुभूति और बड़े दिल को प्रदर्शित करता है जिसने उन्हें सिर्फ एक महान कलाकार नहीं, बल्कि एक महान इंसान भी बनाया। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में यह नियम अपनाया कि जीवन में पैसा और शोहरत से ज्यादा मानवीयता मायने रखती है, जैसा कि उन्होंने अपनी आत्मकथा 'रोमांसिंग विद लाइफ' में भी बताया है।

Point of View

बल्कि एक महान इंसान भी बनाया। ऐसे व्यक्तित्वों की कमी आज के समाज में महसूस होती है।
NationPress
25/09/2025

Frequently Asked Questions

देव आनंद का जन्म कब हुआ था?
देव आनंद का जन्म २६ सितंबर १९२३ को हुआ था।
देव आनंद ने किस फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की?
देव आनंद ने अपने करियर की शुरुआत 'हम एक हैं' फिल्म से की थी।
देव आनंद का प्रोडक्शन हाउस का नाम क्या था?
देव आनंद का प्रोडक्शन हाउस का नाम नवकेतन फिल्म्स था।
देव आनंद की प्रसिद्ध फिल्मों में कौन-कौन सी शामिल हैं?
उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में 'गाइड', 'ज्वेल थीफ' और 'हरे रामा हरे कृष्णा' शामिल हैं।
क्या देव आनंद ने अपनी पहली कमाई दान की थी?
हाँ, देव आनंद ने अपनी पहली कमाई एक भिखारी को दान की थी।