क्या जाहन्वी कपूर की 'होमबाउंड' ने गुनीत मोंगा का दिल जीत लिया?
सारांश
Key Takeaways
- गहरी कहानियों की आवश्यकता है।
- फिल्म 'होमबाउंड' की तारीफ की गई है।
- भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकती है।
- 'कांतारा' और 'मंजुम्मेल बॉयज' जैसी फिल्में सफलता पा सकती हैं।
- आईएफएफआई में 240 से ज्यादा फिल्में प्रदर्शित की जा रही हैं।
मुंबई, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सिनेमा में समय के साथ कहानी, विषय और प्रस्तुति में बदलाव आता रहा है, लेकिन अब एक बार फिर गहरी और जमीनी कहानियों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस संदर्भ में ऑस्कर विजेता फिल्म निर्माता गुनीत मोंगा कपूर ने राष्ट्र प्रेस को दिए इंटरव्यू में अपने विचार साझा किए।
गुनीत मोंगा कपूर ने गोवा में चल रहे 56वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में भाग लिया। इस मौके पर भारतीय सिनेमा के भविष्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिल्मों की स्वीकार्यता पर विचार साझा किए।
गुनीत मोंगा ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि यदि फिल्मों की कहानी हमारे समाज और संस्कृति से गहराई से जुड़ी हो, तो उन्हें न केवल देश में बल्कि दुनिया भर में भी सराहा जा सकता है, क्योंकि ये फिल्में अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के साथ आसानी से जुड़ सकती हैं। भारतीय फिल्म निर्माताओं को ऐसी कहानियाँ पेश करने की दिशा में और प्रयास करने की जरूरत है।
गुनीत ने ऑस्कर के लिए चुनी गई फिल्म 'होमबाउंड' की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "इस फिल्म को तुरंत रिलीज करना पड़ा, क्योंकि फिल्म फेस्टिवल से लौटने वाली फिल्मों के लिए एक निश्चित समय सीमा होती है। रिलीज डेट तय करना आसान नहीं होता, इसके पीछे कई सारी योजनाएं और गणनाएं होती हैं। सितंबर में सबमिशन की अंतिम तारीख थी, इसलिए फिल्म को आखिरी समय पर रिलीज किया गया।"
उन्होंने कहा, "मैं बॉक्स ऑफिस की सफलता पर टिप्पणी नहीं करना चाहती, लेकिन फिल्म लोगों को काफी पसंद आई। 'होमबाउंड' एक बेहद सुंदर फिल्म है, जिसे कान्स और टोरंटो जैसे बड़े फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया और विश्व प्रसिद्ध निर्देशक मार्टिन स्कॉर्से इसे प्रस्तुत कर रहे हैं। इसके पीछे भारत के एक बेहतरीन स्टूडियो का समर्थन है। यह फिल्म पूरी तारीफ और प्यार की हकदार है।"
उन्होंने कहा, "ऐसी और फिल्में भी हैं जो भारतीय जड़ों से जुड़ी हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता पा सकती हैं। 'कांतारा' और 'मंजुम्मेल बॉयज' जैसी फिल्में अपनी मजबूत जमीनी कहानियों की वजह से भारत के बाहर भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय हो सकती हैं और नए आयाम स्थापित कर सकती हैं। हिंदी फिल्मों में अभी भी ऐसी जमीनी कहानियों की कमी है और हमें ज्यादा ऐसी फिल्में बनाने की जरूरत है।"
56वां अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) गोवा में जारी है। यह महोत्सव फिल्मों, कला और तकनीक का एक शानदार संगम है। इस बार महोत्सव में 81 देशों की 240 से ज्यादा फिल्में प्रदर्शित की जा रही हैं।