क्या कैलाश खेर की कहानी प्रेरणादायक है? 'अल्लाह के बंदे' से 'राम धुन' तक सुरों का जादू

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क्या कैलाश खेर की कहानी प्रेरणादायक है? 'अल्लाह के बंदे' से 'राम धुन' तक सुरों का जादू

सारांश

कैलाश खेर का जन्मदिन है और उनकी प्रेरणादायक कहानी है। बॉलीवुड में अपने संघर्षों और सफलता के पीछे की कहानी जानें। उनकी आवाज का जादू और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा।

Key Takeaways

  • कैलाश खेर का संघर्ष और सफलता की कहानी प्रेरणादायक है।
  • उनकी आवाज में जादू है जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करता है।
  • कैलाश ने अपने बैंड 'कैलासा' के माध्यम से लोक और सूफी संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
  • उन्होंने आध्यात्मिक विश्वासों के आधार पर अपनी गायकी को ढाला है।
  • कैलाश का जीवन संघर्ष और दृढ़ता का प्रतीक है।

मुंबई, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संगीत की दुनिया में अपनी विशिष्ट आवाज से जादू बिखेरने वाले पद्मश्री कैलाश खेर का 7 जुलाई को 52वां जन्मदिन है। 7 जुलाई, 1973 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्मे कैलाश खेर की कहानी किसी प्रेरक कहानी से कम नहीं है। गरीबी, असफलताओं और विवादों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी खूबसूरत आवाज से न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में खास पहचान बनाई। हालांकि, इस शोहरत की राह आसान नहीं थी।

कैलाश खेर का बचपन मेरठ की गलियों में बीता, जहां संगीत उनके लिए जीवन का आधार बन गया। उनके पिता पंडित मीजान खेर एक लोक गायक थे, जिनसे कैलाश ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। शास्त्रीय संगीत के दिग्गजों जैसे पंडित कुमार गंधर्व, भीमसेन जोशी, हृदयनाथ मंगेशकर और सूफी बादशाह नुसरत फतेह अली खान से प्रेरित होकर कैलाश ने संगीत को अपनी साधना बना लिया। लेकिन, मुंबई की मायानगरी में कदम रखने से पहले उनकी जिंदगी में कई ऐसे मोड़ आए, जिन्होंने उन्हें तोड़ने की कोशिश की।

कैलाश खेर की जिंदगी का एक ऐसा किस्सा है, जिसे सुनकर हर कोई दंग रह जाता है। शुरुआती दिनों में वह आर्थिक तंगी और असफलताओं से जूझ रहे थे, और एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने खुद एक हैरतअंगेज किस्सा सुनाया।

एक रात वह ऋषिकेश में गंगा नदी के किनारे पहुंचे और आत्महत्या करने का निश्चय किया। लेकिन, जैसा कि वह खुद बताते हैं, वहां वह बच गए, और इस एक घटना ने उनकी जिंदगी बदल दी। कैलाश ने इसे अपनी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बताया और कहा कि इस घटना ने उन्हें जिंदगी में एक बड़ा सबक सिखाया।

साल 2003 में फिल्म 'अंदाज' के गाने 'रब्बा इश्क ना होवे' से कैलाश ने बॉलीवुड में कदम रखा, लेकिन असली पहचान 'अल्लाह के बंदे' से मिली। उनकी आवाज में एक जादुई कशिश है, जो श्रोताओं को सूफी और भक्ति के साथ मेलोडी रंग में डुबो देती है। 'तेरी दीवानी', 'चांद सिफारिश', 'सैय्यां', 'बम लहरी', 'जय जयकारा', 'दौलत शोहरत' और 'हे राम' जैसे गाने उनकी गायकी का लोहा मानते हैं।

कैलाश ने साल 2004 में 'कैलासा' नाम से एक बैंड बनाया, और इसी नाम से बैंड का पहला एलबम साल 2006 में रिलीज किया। इसके बाद उन्होंने 'झूमो रे' नाम से दूसरा एलबम निकाला। फिर साल 2009 में 'चांदन में' नाम से उनका तीसरा एलबम जारी हुआ। 'अल्लाह के बंदे' गाने के लिए उन्हें बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का पुरस्कार मिला था।

कैलाश ने न केवल बॉलीवुड बल्कि क्षेत्रीय सिनेमा में भी अपनी छाप छोड़ी। उनके बैंड 'कैलासा' ने लोक और सूफी संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

कैलाश खेर की जिंदगी जितनी प्रेरणादायक है, उनके साथ कुछ विवाद भी जुड़े हैं। साल 2018 में उन पर अनुचित व्यवहार के आरोप लगे। कैलाश ने इनका खंडन किया और इसे गलतफहमी करार दिया।

साल 2009 में कैलाश ने शीतल से शादी की और दोनों का एक बेटा है, जिसका नाम उन्होंने कबीर खेर रखा है। वह कहते हैं कि उनकी गायकी में भक्ति और सूफियाना अंदाज उनके आध्यात्मिक विश्वासों का नतीजा है। संगीत मेरे लिए इबादत है, प्रार्थना है और मैं इसे अपने ईश्वर को समर्पित करता हूं।

Point of View

NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

कैलाश खेर का जन्म कब हुआ?
कैलाश खेर का जन्म 7 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ।
कैलाश खेर ने बॉलीवुड में कब कदम रखा?
कैलाश खेर ने 2003 में फिल्म 'अंदाज' के गाने 'रब्बा इश्क ना होवे' से बॉलीवुड में कदम रखा।
कैलाश खेर के प्रमुख गाने कौन से हैं?
कैलाश खेर के प्रमुख गाने हैं 'अल्लाह के बंदे', 'तेरी दीवानी', 'चांद सिफारिश' और 'हे राम'।
कैलाश खेर का बैंड का नाम क्या है?
कैलाश खेर का बैंड 'कैलासा' है।
कैलाश खेर ने शादी कब की?
कैलाश खेर ने 2009 में शीतल से शादी की।