क्या काजोल ने फिल्म 'बेखुदी' के 33 साल पूरे होने पर अपने सफर को याद किया?

सारांश
Key Takeaways
- काजोल की पहली फिल्म 'बेखुदी' का महत्व
- फिल्म की कहानी और पात्रों की गहराई
- काजोल का सफर और उनके अनुभव
- सिनेमा का समय के साथ प्रभाव
- प्रेम कहानी की जटिलताएं
मुंबई, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री काजोल ने अपनी पहली फिल्म 'बेखुदी' के 33 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश साझा किया।
यह फिल्म 1992 में रिलीज हुई थी, जिसने काजोल को हिंदी सिनेमा में एक नई पहचान दी। इस फिल्म का निर्देशन राहुल रवैल ने किया और इसमें काजोल के साथ कमल सदाना मुख्य भूमिका में थे।
इस विशेष अवसर पर काजोल ने 'बेखुदी' का एक पोस्टर साझा किया और लिखा, ''मेरी यात्रा की शुरुआत 'बेखुदी' से हुई... 33 साल, 100 कहानियां और अभी भी गिनती जारी है... मुझे उस स्थान का आभार, जहां मैं अपने असली स्वरूप में रह सकी।''
उन्होंने कमल सदाना के साथ एक पुरानी तस्वीर भी साझा की, जिसने उनके प्रशंसकों को उन सुनहरे पलों की याद दिला दी।
फिल्म 'बेखुदी' में कमल सदाना ने रोहित और काजोल ने राधिका की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में तनुजा, फरीदा जलाल, कुलभूषण खरबंदा, अजय मनकोटिया, रामी रेड्डी और राजेन्द्रनाथ जैसे कलाकार भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में थे।
फिल्म की कहानी रोहित और राधिका के प्रेम पर आधारित है। राधिका के माता-पिता (तनुजा और विजयेन्द्र घटगे) उसकी शादी एक लड़के विकी (अजय मानकोटिया) से तय कर देते हैं, जो कनाडा में रहता है। राधिका चाहती है कि वह शादी से पहले विकी से मिलकर उसे समझे। उसके माता-पिता उसकी बात मान लेते हैं।
राधिका कनाडा जाकर विकी से मिलती है और शुरू में उसे पसंद करती है, लेकिन फिर उसकी मुलाकात रोहित से होती है। धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं। जब राधिका के माता-पिता और विकी को इस बात का पता चलता है, तो वे नाराज होते हैं और राधिका पर विकी से शादी करने का दबाव डालते हैं। इस सबके बावजूद, दोनों की प्रेम कहानी आगे कैसे बढ़ती है, यही फिल्म की कहानी है।
फिल्म 'बेखुदी' 31 जुलाई 1992 को रिलीज हुई थी।