क्या भाषा विवाद पर कुमार सानू का विचार काम की आजादी में रुकावट नहीं होना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- काम के अवसरों में भाषा नहीं, बल्कि प्रतिभा महत्वपूर्ण है।
- हर व्यक्ति को काम करने की आज़ादी होनी चाहिए।
- भाषाई मतभेदों के बावजूद एकता जरूरी है।
मुंबई, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध प्लेबैक गायक कुमार सानू ने देश में चल रहे भाषा विवाद पर अपनी विचारधारा साझा की। उन्होंने कहा कि काम के अवसरों के लिए प्रतिभा और अनुकूलन क्षमता भाषा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को देश में कहीं भी काम करने की आज़ादी होनी चाहिए, चाहे उनकी भाषा भिन्न हो।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में गायक ने कहा कि भाषाई मतभेदों के बावजूद, सभी को देश भर में काम करने की आज़ादी मिलनी चाहिए। सीखने की क्षमता और रुचि भिन्न हैं, और यह काम में बाधा नहीं डालनी चाहिए।
कुमार सानू ने कहा, “मैं भाषा पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन हर किसी को देश में कहीं भी काम करने का अधिकार है। भाषा सीखना व्यक्ति की क्षमता और रुचि पर निर्भर करता है, और इससे काम के अवसरों में रुकावट नहीं आनी चाहिए।”
हाल ही में, भाषा और क्षेत्रीय पहचान को लेकर देश भर में विवाद उत्पन्न हुआ। सिंगर सोनू निगम बेंगलुरु में अपने कॉन्सर्ट के बाद विवादों में घिरे, जब उन्होंने एक प्रशंसक के कन्नड़ गाना गाने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, जिसे उन्होंने 'गलत' बताया।
इस घटना की तुलना उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से की, जिसके बाद उनकी तीखी आलोचना हुई। कन्नड़ भाषी समुदाय में नाराजगी बढ़ गई, और एक कन्नड़ समर्थक संगठन ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें उन पर भाषाई मतभेद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया।
इसके अतिरिक्त, पिछले साल दिसंबर में बंगाली गायिका ईमान चक्रवर्ती भी विवाद में आईं, जब उन्होंने राजारहाट, पश्चिम बंगाल में हुए कॉन्सर्ट में एक दर्शक को बंगाली गाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर कड़ा जवाब दिया।