क्या कुणाल खेमू ने फिल्म और सीरीज के काम में अंतर को विस्तार से समझाया?
सारांश
Key Takeaways
- वेब सीरीज में किरदारों के विकास का अवसर मिलता है।
- कुणाल खेमू ने अपने किरदार को पूरी तरह जीया है।
- लेखक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
- दर्शकों को किरदार से लंबे समय तक जुड़ने का मौका मिलता है।
- सीरीज में समय अधिक होता है, जिससे रिश्ते को गहराई से दिखाया जा सकता है।
मुंबई, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय मनोरंजन की दुनिया में वेबसीरीज ने फिल्मों की तुलना में एक विशिष्ट स्थान हासिल कर लिया है। इस संदर्भ में, अभिनेता और निर्देशक कुणाल खेमू की हाल ही में प्रदर्शित हुई वेब सीरीज 'सिंगल पापा' की काफी चर्चा हो रही है। दर्शक इस सीरीज में उनके प्रदर्शन को बहुत सराह रहे हैं।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कुणाल खेमू ने कहा कि फिल्मों और सीरीज में कार्य अनुभव काफी भिन्न होता है, और ये दोनों प्लेटफॉर्म कलाकारों को अलग-अलग प्रकार की चुनौतियाँ पेश करते हैं।
कुणाल ने अपने साक्षात्कार में बताया कि फिल्मों में काम करते समय अभिनेता को समय की सीमाओं के भीतर अपनी परफॉर्मेंस देनी होती है। एक फिल्म केवल 2 से 3 घंटे की होती है, जिसमें किरदार को पूरी तरह से प्रदर्शित करना जरूरी होता है। इसके विपरीत, वेब सीरीज में कई एपिसोड होते हैं, जो कलाकार को अपने किरदार के साथ अधिक समय बिताने और उसे गहराई से समझने का अवसर प्रदान करते हैं। यह प्रक्रिया कलाकार को अपने किरदार में ढलने और उसे बनाए रखने की सुविधा देती है, जिससे दर्शक भी उस किरदार से लंबे समय तक जुड़ाव महसूस करते हैं।
कुणाल ने कहा, 'वेब सीरीज में काम करना बहुत रोमांचक होता है क्योंकि आप अपने किरदार के विकास को विस्तार से दिखा सकते हैं। फिल्मों में समय सीमित होता है, इसलिए कई बार किरदार की गहराई को पूरी तरह से नहीं दिखाया जा पाता। लेकिन सीरीज में लंबे समय तक काम करने का मतलब है कि किरदार धीरे-धीरे बदलता है और उसकी कहानी को कई पहलुओं से दर्शाया जा सकता है। अभिनेता के लिए यह एक चुनौती और एक अवसर दोनों है, क्योंकि उसे लगातार किरदार में बने रहना होता है।'
कुणाल ने यह भी बताया, 'इसमें केवल अभिनेता की मेहनत नहीं होती, बल्कि कहानी लिखने वाले लेखक की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। लेखक ही उस किरदार और उसकी कहानी की नींव रखते हैं। यदि कहानी अच्छी तरह लिखी गई है, तो अभिनेता का काम आसान हो जाता है और दर्शकों को भी किरदार में विश्वास होता है। लेकिन अगर कहानी कमजोर हो, तो यह कार्य चुनौतीपूर्ण और थकाने वाला हो सकता है। इसलिए सीरीज में लेखक और अभिनेता दोनों की मेहनत और समझ महत्वपूर्ण होती है।'
सीरीज में काम करने के अपने अनुभव के बारे में उन्होंने कहा, 'मैंने अपने किरदार को पूरी तरह से जीया है। किरदार को केवल स्क्रीन पर निभाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसके रिश्तों और अन्य पात्रों के साथ जुड़ाव को भी समझना आवश्यक है। सीरीज में यही विशेषता होती है, क्योंकि समय अधिक होने के कारण किरदारों के बीच के रिश्तों को गहराई से दिखाया जा सकता है।'
'सिंगल पापा' कुणाल की तीसरी वेब सीरीज है। इससे पहले उन्होंने 'अभय' और 'पॉप कौन?' में भी काम किया था। इसके अतिरिक्त, उन्होंने फिल्म 'मडगांव एक्सप्रेस' का निर्देशन भी किया है।