क्या 'सहर होने को है' में अपने किरदार के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती, क्योंकि मैं भी एक मां हूं: माही विज?
सारांश
Key Takeaways
- कौसर की भूमिका में माही विज की मां की भावना को दर्शाने का प्रयास।
- समाज में लड़कियों के सपनों के प्रति नजरिया।
- मां और बेटी के रिश्ते की गहराई।
मुंबई, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कलर्स टीवी का नया शो 'सहर होने को है' दर्शकों के सामने एक नई और भावनाओं से भरी कहानी प्रस्तुत कर रहा है। यह शो समाज में मौजूद उन सच्चाइयों को उजागर करता है, जिनसे कई महिलाएं प्रतिदिन गुजरती हैं। कहानी में प्यार, संघर्ष, उम्मीद और यह एहसास है कि एक मां अपनी बेटी के लिए हर सीमा पार कर सकती है।
शो की कहानी लखनऊ की पृष्ठभूमि में विकसित होती है और इसका मुख्य पात्र है कौसर, जिसकी भूमिका टीवी अभिनेत्री माही विज निभा रही हैं। लगभग दस साल बाद फिक्शन शो में माही की वापसी अपने आप में खास है।
शो में कौसर एक ऐसी मां है जो अपनी 16 साल की बेटी सहर के लिए वही रास्ते खोलना चाहती है जो उसे कभी नहीं मिले। वह चाहती है कि उसकी बेटी पढ़े, समझे, दुनिया देखे और खुद अपने फ़ैसले ले सके। लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं है, क्योंकि उसके सामने एक ऐसा समाज और परिवार खड़ा है, जहां लड़कियों के सपनों को कमतर समझा जाता है। ख़ासकर उसका पति और आसपास के लोग उसकी बेटी की पढ़ाई और आज़ादी के रास्ते में कई रुकावटें डालते हैं।
माही विज ने बताया, ''शो में मेरी ऑन-स्क्रीन बेटी का किरदार निभा रही ऋषिता मेरे लिए बेटी जैसी बन गई है। वह अक्सर मुझसे पूछती रहती हैं कि क्या मैंने खाना खाया, क्या मैं थकी हूं या मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत है। मैं चाहती हूं कि ऋषिता मुझे अपनी असली मां की तरह समझे। वह बेहद शांत लड़की है।''
उन्होंने आगे कहा, ''ऋषिता का यह पहला शो है, इसलिए मैं उसके लिए स्वाभाविक रूप से एक सुरक्षात्मक भावना महसूस करती हूं। हम दोनों सेट पर बहुत मज़ा करते हैं और एक-दूसरे से सीखते भी हैं। वह मुझे नई पीढ़ी के ट्रेंड और तरीके सिखाती है और मैं अपने अनुभव से उसका मार्गदर्शन करती हूं। यह रिश्ता बिल्कुल स्वाभाविक है, कहीं कोई दिखावा नहीं, बस एक परिवार जैसा अपनापन है।''
माही ने कहा, ''जब रोल की तैयारी की बात आती है, तो मुझे कौसर के किरदार को निभाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। असल जिंदगी में मैं खुद एक मां हूं, इसलिए बेटी के लिए डर, उसकी सुरक्षा की चिंता और उसके भविष्य के लिए लड़ने की जिद, ये सब भावनाएं मुझे पहले से महसूस होती हैं।''
उन्होंने कहा, ''मुझे मां की तरह एक्ट करने की ज़रूरत नहीं पड़ी, मैं बस उसी एहसास को स्क्रीन पर उतारती हूं। हां, मैंने अपने किरदार के उन पलों को जरूर गहराई से समझा, जहां कौसर अपने भीतर की थकान, संघर्ष, दर्द और फिर भी आगे बढ़ने की हिम्मत को महसूस करती है। यही चीज़ मेरे किरदार को मजबूत और असली बनाती है।''