क्या 'मल्लिका-ए-तरन्नुम' को 'मौसकी' बेवफा लगती थी? दिलीप कुमार को बताई थी वजह

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क्या 'मल्लिका-ए-तरन्नुम' को 'मौसकी' बेवफा लगती थी? दिलीप कुमार को बताई थी वजह

सारांश

नूरजहां, जिन्हें 'क्वीन ऑफ मेलोडी' कहा जाता है, ने अपने जीवन के कई पहलुओं को साझा किया है। जानें, विभाजन के बाद भारत लौटने पर उनकी भावनाएं और मौसकी के प्रति उनकी सोच।

Key Takeaways

  • नूरजहां का जन्म 21 सितंबर 1926 को हुआ था।
  • उन्होंने विभाजन के बाद पाकिस्तान में अपने करियर को जारी रखा।
  • दिलीप कुमार ने उन्हें भारत में रहने का प्रस्ताव दिया था।
  • नूरजहां ने रियाज की महत्ता को बताया।
  • उन्होंने मौसकी को बेवफा मानते हुए अपने अनुभव साझा किए।

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ‘क्वीन ऑफ मेलोडी’ या ‘मल्लिका-ए-तरन्नुम’ के नाम से जानी जाने वाली अभिनेत्री और गायिका नूरजहां एक ऐसा नाम हैं, जिनकी आवाज का जादू पाकिस्तान के साथ-साथ भारत में भी फैला हुआ है। 23 दिसंबर 2000 को उनका निधन हुआ, जब उन्हें दिल का दौरा पड़ा।

भारत में जन्मी और पली-बढ़ी नूरजहां ने अपनी मधुर आवाज और अभिनय से हिंदी-उर्दू सिनेमा को चार दशकों तक समृद्ध किया। पाकिस्तान में भी उन्हें एक प्रमुख हस्ती माना जाता रहा है। उनकी गायिकी और खूबसूरती के दीवाने दुनियाभर में थे। नूरजहां का जन्म 21 सितंबर 1926 को पंजाब के कसूर शहर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन का नाम अल्लाह राखी या अल्लाह वासी था, जिसे बाद में नूरजहां नाम दिया गया।

कहा जाता है कि जन्म के समय उनकी रोने की आवाज में भी संगीत की लय थी। उनकी बुआ ने भविष्यवाणी की थी कि यह बच्ची बड़ी होकर प्लेबैक सिंगर बनेगी। उनका परिवार थिएटर से जुड़ा था और घर का माहौल संगीतमय था। उनकी मां ने उनके संगीत प्रतिभा को पहचाना और घर पर ही शिक्षा की व्यवस्था की। नूरजहां ने प्रारंभिक संगीत की शिक्षा कज्जनबाई से और शास्त्रीय संगीत उस्ताद गुलाम मोहम्मद तथा बड़े गुलाम अली खां से ली थी।

साल 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद नूरजहां पाकिस्तान चली गईं। फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार ने उन्हें भारत में रहने का प्रस्ताव दिया, लेकिन नूरजहां ने कहा, “जहां मेरे मियां वहीं, मेरी जिंदगी।” वह अपने पति शौकत हुसैन रिजवी के साथ पाकिस्तान चली गईं। बंटवारे के बाद, साल 1983 में नूरजहां पहली और आखिरी बार अपनी बेटियों के साथ भारत आई थीं।

विभाजन के 35 साल बाद, एक समारोह में नूरजहां भारत आईं। जैसे ही वह भारत पहुंचीं, वह भावुक होकर रो पड़ीं। दिलीप कुमार को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कई यादें साझा की थीं। उन्होंने बताया कि लोग अक्सर पूछते थे कि उनकी बेटियां क्यों नहीं गातीं, तो नूरजहां ने कहा था, “आवाज की रियाज बचपन से होती है, बड़ा होने पर यह मुश्किल है। मैं बचपन में 10-10 घंटे रियाज करती थी। आज के समय में यह संभव नहीं।”

नूरजहां ने यह भी बताया कि वह मौसकी को बेवफा मानती थीं। उनका मानना था कि थोड़ी सी लापरवाही से प्रतिभा दूर हो जाती है। उन्होंने कहा, “एक दिन रियाज छोड़ो तो यह 21 दिन साथ छोड़ देता है। मौसकी का काम बड़ा बेवफा होता है।”

उन्होंने बंटवारे के दर्द को याद करते हुए भावुक बातें की और बताया कि भारत आकर उन्हें कितना प्यार मिला था। यहां तक कि पड़ोस में रहने वाली एक छोटी लड़की उनसे गले लगाकर रो पड़ी थी। उन्होंने कहा कि बसे-बसाए घर को छोड़कर कोई भी नहीं जाना चाहता है, लेकिन उन्हें यह करना पड़ा। हालांकि, भारत आने के लिए वह रोज़ ऊपर वाले से दुआ करती थीं और इसके लिए 35 साल इंतजार किया था।

Point of View

बल्कि यह विभाजन के दर्द और सांस्कृतिक पहचान की भी है। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए यह दिखाया है कि कला और संस्कृति कैसे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को प्रभावित करती हैं।
NationPress
22/12/2025

Frequently Asked Questions

नूरजहां का जन्म कब हुआ था?
नूरजहां का जन्म 21 सितंबर 1926 को पंजाब के कसूर शहर में हुआ था।
नूरजहां का असली नाम क्या था?
उनका बचपन का नाम अल्लाह राखी या अल्लाह वासी था।
नूरजहां ने कब पाकिस्तान जाने का निर्णय लिया?
1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद नूरजहां पाकिस्तान चली गईं।
दिलीप कुमार ने नूरजहां को क्या प्रस्ताव दिया था?
दिलीप कुमार ने नूरजहां को भारत में रहने का प्रस्ताव दिया था।
नूरजहां ने मौसकी के बारे में क्या कहा?
उन्होंने मौसकी को बेवफा मानते हुए कहा कि थोड़ी सी लापरवाही से प्रतिभा दूर हो जाती है।
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