क्या मनीष मल्होत्रा बुटीक में नौकरी कर के बने एक ब्रांड?
सारांश
Key Takeaways
- मनीष मल्होत्रा की यात्रा प्रेरणादायक है।
- उन्होंने संघर्ष के बाद सफलता हासिल की।
- उनकी मां ने उन्हें हमेशा समर्थन दिया।
- फैशन में उनके योगदान ने उन्हें एक ब्रांड बना दिया।
- बॉलीवुड में उनकी पहचान अद्वितीय है।
मुंबई, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मनीष मल्होत्रा अपने आप में एक ब्रांड बन चुके हैं। छोटे से लेकर बड़े बजट की फिल्में हों या बॉलीवुड के किसी इवेंट की बात, उनके बिना सब कुछ अधूरा लगता है।
वास्तव में, मनीष मल्होत्रा केवल एक डिजाइनर का नाम नहीं है। उनकी कहानी साधारण और दिल छू लेने वाली है।
5 दिसंबर 1966 को जन्मे मनीष ने एक समय बांद्रा की एक छोटी सी बुटीक में मात्र 500 रुपए महीना कमाए थे। वहीं से उनका सफर शुरू हुआ, जो आज मुंबई से लेकर दुबई, लंदन और दिल्ली तक फैला हुआ है।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि बचपन से ही उन्हें फिल्मों का जुनून था। दसवीं कक्षा में हर शुक्रवार नई फिल्म का इंतजार रहता था। पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं लगता था, लेकिन रंग, कागज और पेंसिल से उनका गहरा लगाव था। वो अपनी मां के साथ साड़ी खरीदने भी जाते थे, जिससे उन्हें फैशन का पहला अनुभव मिला।
मनीष का कहना है कि उनकी मां उनकी पहली प्रेरणा थीं, जिन्होंने उन्हें कभी रोका नहीं और हमेशा हौसला दिया।
स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद मनीष ने बुटीक में काम करना शुरू किया। उनके लिए दिनभर कपड़े फोल्ड करना, ग्राहकों को दिखाना और डिजाइन को समझना एक नए रास्ते की तलाश करने जैसा था। वह बुटीक में घंटों स्केच करते और नए आइडियाज पर काम करते थे।
उनके करियर का टर्निंग प्वॉइंट 1990 की फिल्म 'स्वर्ग' रहा, जिसमें उन्हें 25 साल की उम्र में पहला ब्रेक मिला। फिल्म में उनके काम को बेहद सराहा गया। इसके बाद उन्होंने 'गुमराह' और 'रंगीला' जैसी फिल्मों के कॉस्ट्यूम डिजाइन किए।
इसके बाद मनीष 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे', 'कभी खुशी कभी गम', 'कभी अलविदा न कहना', 'ऐ दिल है मुश्किल', 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' जैसी कई सफल फिल्मों का हिस्सा बने। करीना कपूर का वेडिंग लहंगा हो या आलिया का ब्राइडल लुक, उनका सफर न केवल बॉलीवुड में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी फैशन आइकन बन गया है।