क्या मनीषा कोइराला ने दादाजी बी.पी. कोइराला की जयंती पर एक महत्वपूर्ण श्रद्धांजलि दी?

सारांश
Key Takeaways
- बी.पी. कोइराला ने लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- मनीषा कोइराला ने उनके लेखन को याद किया।
- नेपाल में युवा छात्र भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
- प्रदर्शन में जेनरेशन जेड के छात्रों की भागीदारी।
- लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए संघर्ष की आवश्यकता है।
मुंबई, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने मंगलवार को अपने दादाजी बी.पी. कोइराला की जयंती के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जो नेपाल के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री रह चुके थे।
मनीषा ने इंस्टाग्राम पर दादाजी की एक काले और सफेद तस्वीर साझा की और उनके लेखन तथा लोकतंत्र के प्रति समर्पण को याद किया।
पोस्ट के कैप्शन में मनीषा ने लिखा, "बी.पी. कोइराला की जयंती पर उन्हें याद कर रही हूं। नेपाल के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री और एक लेखक जिन्होंने प्रेम, संघर्ष और दृढ़ता को अपनी लेखनी में समाहित किया। आज जब युवा छात्र भ्रष्टाचार के खिलाफ और स्वतंत्रता के लिए आवाज उठा रहे हैं, उनके शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। 'लोकतंत्र अविभाज्य है; यदि आप अपने घर में लोकतंत्र चाहते हैं, तो आपको इसके लिए हर संघर्ष को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।'"
जानकारी के लिए बता दें कि मनीषा कोइराला का संबंध नेपाल से है। उनका जन्म 16 अगस्त 1970 को नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुआ था। वे एक राजनीतिक परिवार से आती हैं, जहां उनके दादाजी विशेश्वर प्रसाद कोइराला नेपाल के प्रधानमंत्री और उनके पिता कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। इसके साथ ही, उन्होंने नेपाली कांग्रेस, एक समाजवादी लोकतांत्रिक पार्टी, का नेतृत्व किया था।
इससे पहले, मनीषा ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर खून से सने एक जूते की तस्वीर साझा की थी। उस पोस्ट के कैप्शन में उन्होंने लिखा था, "आज नेपाल के लिए एक ब्लैक डे है, जब जनता की आवाज, भ्रष्टाचार के खिलाफ नाराजगी और न्याय की मांग का जवाब गोलियों से मिल रहा है।"
गौरतलब है कि नेपाल सरकार ने हाल ही में कई सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर बैन लगाने की घोषणा की। सरकार के इस निर्णय के खिलाफ कई लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे। इन प्रदर्शनों में ज्यादातर जेनरेशन जेड (जेन-जैड) के लोग शामिल थे, क्योंकि अधिकांश सोशल मीडिया यूजर इसी आयु वर्ग से थे।
प्रदर्शन में शामिल छात्र-छात्राएं स्कूल और कॉलेज की ड्रेस पहनकर सड़कों पर उतरे। कई स्थानों पर उन्होंने स्वयं बैनर और पोस्टर बनाकर नारे लगाए और बिना किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े बिना विरोध जताया।
विरोध बढ़ने के बाद पुलिस ने पहले आंसू गैस छोड़ी, जिसके बाद यह प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें कई लोगों की जानें गईं और कई अन्य घायल हुए।