क्या 'आर्ट ऑफ लिविंग' के प्रणेता श्री श्री रविशंकर का मुंबई के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में दिव्य आगमन हुआ?

Click to start listening
क्या 'आर्ट ऑफ लिविंग' के प्रणेता श्री श्री रविशंकर का मुंबई के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में दिव्य आगमन हुआ?

सारांश

श्री श्री रविशंकर का बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में आगमन एक महत्वपूर्ण घटना है। इस अवसर पर उन्होंने न केवल आध्यात्मिक अनुष्ठान किए बल्कि समाज के उत्थान में योगदान देने वाली परंपराओं की भी सराहना की। जानिए इस दिव्य आगमन के पीछे की खास बातें और उनका महत्व।

Key Takeaways

  • श्री श्री रविशंकर का दिव्य आगमन समाज को प्रेरित करता है।
  • बीएपीएस संस्था का उद्देश्य आध्यात्मिकता और सेवा के माध्यम से समाज का उत्थान करना है।
  • यह संस्था विश्वभर में 5025 से अधिक केंद्रों के माध्यम से सक्रिय है।
  • आध्यात्मिक गुरु की प्रेरणा हमें नई दिशा देती है।
  • मंदिर में आरती और प्रार्थना का आयोजन किया गया।

मुंबई, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर मंगलवार को मुंबई के बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के स्वामीनारायण मंदिर में पहुंचे। वहां साधु, सेवक और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।

श्री श्री रविशंकर ने मंदिर की दिव्य और आध्यात्मिक छटा के बीच गहन श्रद्धा से भगवान स्वामीनारायण की आरती की, अर्घ्य अर्पित किया और श्री नीलकंठ वर्णी का अभिषेक कर सम्पूर्ण मानवजाति के कल्याण, शांति और सुख-समृद्धि के लिए हार्दिक प्रार्थना की।

मंदिर के दिव्य वातावरण में श्री श्री रविशंकर ने प्रमुख स्वामी महाराज और महंत स्वामी महाराज की आध्यात्मिक परंपरा के प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त की और उनके साथ बिताए पलों को याद किया।

आध्यात्मिक गुरु ने उनकी निस्वार्थ सेवा, शाश्वत ज्ञान और समाज के उत्थान के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता की प्रशंसा की और बताया कि कैसे उनका जीवन दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करता रहता है।

उन्होंने कहा कि दोनों परम पूज्य गुरुजनों की करुणा, त्याग और सेवाभाव ने समाज को नई दिशा दी है और आज भी उनका जीवन अनगिनत हृदयों को आलोकित कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि बीएपीएस संस्था वेदों की परंपरा से जुड़ा एक सामाजिक-आध्यात्मिक संगठन है, जिसकी जड़ें वेदों में हैं। व्यावहारिक आध्यात्मिकता पर आधारित यह संस्था आज की दुनिया के आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक संकटों का समाधान खोजने का प्रयास करती है।

बीएपीएस को एक ऐसे आध्यात्मिक केंद्र के रूप में देखा जाता है, जो समाज, परिवारों और व्यक्तियों की देखभाल करके विश्व की देखभाल करने का प्रयास करता है। इसके 5025 से अधिक केंद्र विश्वभर में सक्रिय हैं और इसकी सेवाओं को कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। यह संस्था संयुक्त राष्ट्र से भी जुड़ी हुई है।

बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था एक आध्यात्मिक, स्वयंसेवी-संचालित संस्था है जो आस्था, सेवा और वैश्विक सद्भाव के हिंदू मूल्यों को बढ़ावा देकर व्यक्तिगत विकास के माध्यम से समाज को बेहतर बनाने के लिए समर्पित है। यहां के अनुयायी नियमित तौर पर पूजा और ध्यान से दिन की शुरुआत करते हैं, ईमानदार और सच्चा जीवन जीते हैं और नियमित रूप से दूसरों की सेवा में समय देते हैं।

Point of View

बल्कि समाज के उत्थान के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। श्री श्री रविशंकर के विचार और उनके द्वारा प्रस्तुत आध्यात्मिकता की परिभाषा आज की आवश्यकताओं से मेल खाती है। यह स्पष्ट है कि आध्यात्मिकता का प्रभाव समाज में व्यापक स्तर पर फैला हुआ है, और यह हम सभी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

श्री श्री रविशंकर का किस मंदिर में आगमन हुआ?
श्री श्री रविशंकर का आगमन मुंबई स्थित बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण मंदिर (बीएपीएस) में हुआ।
बीएपीएस संस्था का उद्देश्य क्या है?
बीएपीएस संस्था का उद्देश्य आध्यात्मिकता, सेवा और वैश्विक सद्भाव के माध्यम से समाज को बेहतर बनाना है।
श्री श्री रविशंकर ने क्या किया?
उन्होंने भगवान स्वामीनारायण की आरती की और मानवता के कल्याण के लिए प्रार्थना की।
बीएपीएस की कितनी शाखाएँ हैं?
बीएपीएस की 5025 से अधिक शाखाएँ विश्वभर में सक्रिय हैं।
बीएपीएस को कौन-कौन से सम्मान मिले हैं?
बीएपीएस को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं।