क्या हर मराठी किरदार के पीछे होती है गहरी मेहनत? : मनोज बाजपेयी
सारांश
Key Takeaways
- मनोज बाजपेयी के किरदारों के पीछे गहरी मेहनत होती है।
- हर मराठी किरदार के लिए विशेष लहजा और सुर की आवश्यकता होती है।
- रिसर्च और अभ्यास हर भूमिका के लिए अनिवार्य हैं।
- भाषाओं का सम्मान करना महत्वपूर्ण है।
- मनोज बाजपेयी की मातृभाषा भोजपुरी है।
मुंबई, ११ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध अभिनेता मनोज बाजपेयी ने हाल ही में मेटामॉर्फोसिस आयोजन में भाग लिया। इस कार्यक्रम में उन्होंने मराठी फिल्मों और किरदारों पर खुलकर चर्चा की।
अभिनेता ने १९९८ की फिल्म सत्या में एक मराठी किरदार भीखू म्हात्रे का अभिनय किया था, जो दर्शकों को बेहद पसंद आया। उन्होंने कहा कि उन्होंने भीखू म्हात्रे के अलावा कई अन्य मराठी भूमिकाएं भी निभाई हैं।
उन्होंने कहा, "मैंने केवल भीखू म्हात्रे का मराठी किरदार नहीं निभाया है, बल्कि 'अलीगढ़' और भोसले में भी मैंने मराठी किरदार निभाए हैं। हाल ही में इंस्पेक्टर शिंदे में भी मेरा एक मराठी किरदार था।"
अभिनेता ने बताया कि मराठी किरदार निभाने में कितनी मेहनत लगती है। उन्होंने कहा, "मराठी किरदार केवल मराठी बोलने से नहीं बनता। जब मैं कोई भूमिका करता हूं, तो सबसे पहले यह देखता हूं कि वह महाराष्ट्र के किस क्षेत्र से संबंधित है।"
उन्होंने 'अलीगढ़' के किरदार का उदाहरण देते हुए बताया, "मैंने फिल्म अलीगढ़ में रामचंद्र का किरदार निभाया था। वह नागपुर से थे, इसलिए उनकी मराठी का सुर और लहजा बिल्कुल अलग था। हमने उस किरदार को थोड़ा काव्यात्मक भी रखा, क्योंकि वह व्यक्ति साहित्य और कविता का शौकीन था। इसलिए उसके बोलने का अंदाज भी अद्वितीय था।"
उन्होंने आगे कहा, "इंस्पेक्टर शिंदे का लहजा भी अलग था। भीखू म्हात्रे की बात करें तो वह मुंबई की चॉल में पले-बढ़े थे, तो उनका लहजा भी खास था। हम हर किरदार के बोलचाल पर पहले से रिसर्च करते हैं, फिर अभ्यास करते हैं।"
मराठी फिल्मों में काम करने के बारे में अभिनेता ने कहा कि मराठी में कुछ डायलॉग याद करके बोलना और मराठी फिल्मों में काम करने में बड़ा अंतर होता है।
उन्होंने कहा, "मैं हर भाषा का दिल से सम्मान करता हूं, और हिंदी और अंग्रेजी मेरी मूल भाषा नहीं हैं। मैंने इन्हें सीखा है और अभी भी सीख रहा हूं। मेरी मातृभाषा भोजपुरी है, जिसे मैं आज भी परिवार और दोस्तों के साथ बोलता हूं।"
उन्होंने कहा, "युवावस्था में मैंने नई भाषाएं सीखना शुरू किया था और आज भी सीख रहा हूं। मैं मराठी भी सीख रहा हूं, लेकिन अभी भी नहीं कह सकता कि मैं बहुत अच्छा बोल लेता हूं, लेकिन प्रयास हमेशा रहता है। हिंदी में लगातार काम करते-करते मैंने वह सीख ली।"